ब्लैक क्वार्टर रोग क्या है?
लंगड़ा बुखार रोग मुख्यतः गाय और भैंसों में पाया जाने वाला एक बैक्टीरियल रोग है, जिसमें पशु के कंधे या पुट्ठे की मांसपेशियों में गैस भरी सूजन आ जाती है। इसके साथ तेज बुखार और सेप्टिसीमिया के कारण पशु की मृत्यु हो जाती है। लंगड़ा बुखार रोग में आमतौर पर गैस युक्त सूजन शरीर की भारी मांसपेशियों में होता है जिसे Emphysematous Swelling कहते है।
भारत में यह रोग कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में गाय और बैलों में देखने को मिलता है। यह मुख्यतः उन क्षेत्रों में फैलता है, जहां की जलवायु गर्म और नम होती है। भारत में ब्लैक क्वार्टर के सबसे ज्यादा मामले मुंबई, हैदराबाद और मैसूर जैसे क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं।
लंगड़ा बुखार रोग एक Enzootic Disease है, जो एक छोटे क्षेत्र में बड़ी संख्या में जानवरों को प्रभावित करती है। यह बीमारी निश्चित दर से छोटे क्षेत्र में फैलती है।
यदि ब्लैक क्वार्टर रोग की फैलने की दर बढ़ जाए, तो यह Epizootic Disease का रूप ले सकती है।
लंगड़ा बुखार रोग आमतौर पर 2 से 6 दिनों तक रहता है, जिसके कारण इसे एक Acute Disease (तीव्र रोग) माना जाता है। तीव्र रोगों की अवधि सामान्यतः 3 से 14 दिनों तक होती है।
तीव्र बीमारी का उदाहरण कौन सा है? (Acute Disease)
- FMD (Foot and Mouth Disease)
- Anthrax
- Rinderpest (Bovine Typhus)
- PPR (Peste des Petits Ruminants)
- PPH (Post Parturient Haemoglobinuria)
यह रोग सामान्यतः मानसून के मौसम में अधिक फैलता है। ब्लैक क्वार्टर मुख्यतः गाय और बैलों में पाया जाता है, जबकि भैंस, बकरियों और घोड़ों में यह कम देखा जाता है। यह रोग मुख्यतः 6 महीने से लेकर 3 वर्ष की उम्र के पशुओं में अधिक पाया जाता है।
Black Quarter Disease Information
Common Names | Black Leg, Quarter Ill, Jahrabad, Black Fever |
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Scientific Name | Clostridium chauvoei Infection |
Causing Agent | Clostridium chauvoei (Gram-positive, spore-forming bacterium) |
Species Affected | Cattle, Buffalo, Goats, Horses |
Age Group | 6 months to 3 years (mostly) |
Seasonality | Predominantly during monsoon (warm, humid climate) |
Symptoms |
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Treatment |
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Vaccination |
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The Rajasthan Express: Black Quarter Disease Details |
लंगड़ा बुखार रोग को अन्य किन नामों से जाना जाता है? (Synonym)
लंगड़ा बुखार को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे:
- Black Leg
- Quarter Leg
- जहरबाद
- काला बुखार
- Quarter Ill
ब्लैक क्वार्टर का मतलब क्या होता है?
ब्लैक क्वार्टर रोग एक ऐसा संक्रमण है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के भारी अंगों या “क्वार्टर अंगों” (जैसे कंधे और पुट्ठे) की मांसपेशियों में टॉक्सिन्स (विषैले पदार्थ) छोड़ता है।
ये टॉक्सिन मांसपेशियों में सूजन पैदा करते हैं, जिसके कारण प्रभावित पशु एक पैर या दोनों पैरों से लंगड़ाकर चलता है। साथ ही इन मांसपेशियों में गैस गैंग्रीन पैदा करते है। जब सूजन वाले स्थान पर चीरा लगाया जाता है, तो वहां से काले रंग का झागदार रक्त निकलता है। इसी वजह से इसे ब्लैक क्वार्टर रोग कहा जाता है।
ब्लैक क्वार्टर का क्या कारण है?(Etiology)
- लंगड़ा बुखार Clostridium Chauvoei बैक्टीरिया के कारण होता है।
- यह एक ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया है। सभी Clostridium बैक्टीरिया ग्राम-पॉजिटिव होते हैं।
- यह बैक्टीरिया स्पोर (Spores) बनाकर कई वर्षों तक मिट्टी में जीवित रह सकते हैं।
- इन्हें नष्ट करने के लिए 3% फॉर्मलीन घोल का उपयोग किया जाता है।
- सभी Clostridium Bacteria अवायवीय जीवाणु (Anaerobic Bacteria) होते हैं, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी जीवित रह सकते हैं।
- इन बैक्टीरिया के स्पोर ड्रमस्टिक (Drumstick) या टेनिस रैकेट जैसे दिखाई देते हैं।
पशुओं में लंगड़ा रोग कैसे फैलता है? (Transmission and Pathogenesis)
- यह बैक्टीरिया सामान्य वातावरण, चारागाह, दूषित मिट्टी और भोजन में मौजूद रहता है।
- संक्रमण का मार्ग:
- यह बैक्टीरिया मवेशियों के शरीर में आहार नाल (digestive tract) के माध्यम से या शरीर पर किसी घाव के जरिए प्रवेश करता है।
- शरीर में प्रवेश करने के बाद यह तेजी से वृद्धि करता है।
- दूषित चारा खाने से यह बैक्टीरिया आहार नाल में पहुँचता है और शरीर में फैल जाता है।
शरीर में प्रभाव:
- टॉक्सिन का निर्माण:
- यह बैक्टीरिया शरीर के भारी अंगों (जैसे कंधे, पुठे) की मांसपेशियों में टॉक्सिन्स (toxins) छोड़ता है।
- ये टॉक्सिन मांसपेशियों में सूजन पैदा करते हैं, जिससे प्रभावित पशु एक पैर या दोनों पैरों से लंगड़ाकर चलता है।
- गैस गैंग्रीन का विकास:
- सूजन वाले स्थान पर कोशिकाएँ और ऊतक (tissues) नष्ट होने लगते हैं, जिससे गैस गैंग्रीन (gas gangrene) विकसित होता है।
- सूजन वाले स्थान को दबाने पर कागज़ पर हाथ फेरने जैसी चरचराहट की आवाज़ (crackling sound) सुनाई देती है, जो BQ का प्रमुख लक्षण है।
- शरीर में संक्रमण का फैलाव:
- बैक्टीरिया अपने स्पोर्स (spores) बनाकर शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण फैलाता है।
- पूरे शरीर में टॉक्सिन फैलने से सेप्टिसीमिया (septicemia) हो जाता है।
- इसके कारण पशु की मृत्यु हो जाती है।
लंगड़ा बुखार के क्या लक्षण हैं? (Symptom)
- मांसपेशियों में सूजन:
लंगड़ा बुखार के कारण गर्दन, कंधे (Shoulder Joint) और पुट्ठे (Hip Joint) की मांसपेशियों में सूजन हो जाती है, जिससे पशु लंगड़ाकर चलते हैं। - गैस गैंगरीन का प्रभाव:
Clostridium बैक्टीरिया मांसपेशियों में गैस गैंगरीन करके उन्हें सड़ा देता है।- त्वचा में सूजन के साथ-साथ गैस गैंगरीन के कारण त्वचा का रंग भूरा (Fade, Brown) हो जाता है, जो स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
- सूजन वाली जगह की त्वचा सूख जाती है और रंग में भी बदलाव होता है।
- चरचराहट की आवाज:
गैस गैंगरीन वाले स्थान को छूने पर चरचराहट (Crepitant Sound) की आवाज सुनाई देती है। - रक्त का रंग:
गैस गैंगरीन वाले स्थान पर चीरा लगाने पर गहरे काले रंग का रक्त (Blackish Blood) बाहर आता है। - तेज बुखार:
पशु को तेज बुखार हो जाता है, जिससे उसकी शारीरिक स्थिति कमजोर हो जाती है। - चलने में दिक्कत:
पशु को तेज बुखार होता है, और पशु एक पैर या दोनों पैरों से लंगड़ा कर चलता है, इसी वजह से इसे “लंगड़ा बुखार” कहा जाता है।
गैंग्रीन के प्रकार (Types of Gangrene)
गैंग्रीन एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के किसी हिस्से की कोशिकाएं और ऊतक मृत हो जाते हैं, और उस हिस्से में सड़न शुरू हो जाती है। यह समस्या तब होती है जब शरीर के उस हिस्से में रक्त प्रवाह (Blood Supply) बंद हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रभावित क्षेत्र के रंग में बदलाव आ जाता है।
- शुष्क गैंग्रीन (Dry Gangrene):
- इस प्रकार में प्रभावित हिस्सा सूखकर काला हो जाता है।
- यह आमतौर पर खराब रक्त संचार (Poor Blood Circulation) या पुराने संक्रमण के कारण होता है।
- नमी युक्त गैंग्रीन (Wet Gangrene):
- इस प्रकार में सूजन और पस (पानी जैसा पदार्थ) बन जाता है।
- यह ज्यादा खतरनाक होता है और तेजी से फैल सकता है।
- गैस गैंग्रीन (Gas Gangrene):
- गैस गैंग्रीन प्रभावित स्थान को छूने पर चरचराहट (Crepitant Sound) सुनाई देती है।
- चीरा लगाने पर झागदार और काला रक्त बहार आता है।
- यह आमतौर पर लंगड़ा बुखार (Black Quarter Disease) में देखने को मिलता है।
गैंग्रीन के लक्षण
- प्रभावित हिस्से का रंग बदलना (काला, हरा, या नीला)
- दर्द, सूजन, और गर्मी महसूस होना
- घावों से दुर्गंध आना
ब्लैक क्वार्टर (BQ) का निदान (Diagnosis)
1. लक्षणों के आधार पर:
- पशु में ब्लैक क्वार्टर के विशिष्ट लक्षण जैसे सूजन, तेज बुखार, और लंगड़ाना देखकर इसका निदान किया जा सकता है।
2. क्रेपिटेशन साउंड (Crepitation Sound):
- सूजन वाले स्थान को दबाने पर चरचराहट की आवाज (Crepitation Sound) सुनाई देती है, जो गैस गैंग्रीन के कारण होती है।
3. सूजन से फ्लुइड का परीक्षण:
- सूजन वाले स्थान से तरल पदार्थ (fluid) निकालकर बैक्टीरियल परीक्षण (Bacterial Test) किया जाता है, जिससे Clostridium chauvoei बैक्टीरिया की पुष्टि होती है।
डिफरेंशियल डायग्नोसिस (Differential Diagnosis)
BQ और एंथ्रैक्स (Anthrax) के लक्षणों में अंतर:
- एंथ्रैक्स (Anthrax):
- एंथ्रैक्स रोग में पशु के प्राकृतिक छिद्रों (मुँह, नाक, योनि, मलद्वार) से खून निकलता है।
- ब्लैक क्वार्टर (BQ):
- BQ में सूजन वाले स्थान पर चीरा लगाने पर काला झागदार खून (Foamy Black Blood) निकलता है, जो गैस गैंग्रीन के कारण होता है।
लंगड़ा बुखार का इलाज क्या है? (Treatment)
- लंगड़ा बुखार रोग Clostridium chauvoei बैक्टीरिया के कारण होता है। यह एक ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया है। सभी ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के इलाज के लिए Penicillin एंटीबायोटिक को प्राथमिकता दी जाती है (Drug of Choice)।
Prescription (Rx):
- Injection: Penicillin (Administered via Intramuscular – I/M or Intravenous – I/V route)
ब्लैक क्वार्टर रोग की रोकथाम कैसे करें? (Vaccination)
एंथ्रेक्स, लंगड़ा बुखार, फड़किया रोग, और गलघोटू रोग का टीकाकरण मानसून से पहले करवाना आवश्यक है।
सामान्यतः इन रोगों का टीकाकरण मई-जून के महीने में किया जाता है।
Black Quarter Vaccine In Cattle Buffalo:
- Vaccine Name: Alum Precipitated BQ Vaccine
- Dose Rate: 5 mL, Subcutaneous (S/C)
- Primary Dose: At 6 months of age
- Booster Dose / Revaccination: Annually, before the rainy season
Black Quarter Vaccine In Goat Sheep :
- Vaccine Name: Alum Precipitated BQ Vaccine
- Dose Rate: 2.5 mL, Subcutaneous (S/C)
- Primary Dose: At 6 months of age
- Booster Dose / Revaccination: Annually, before the rainy season
टीका (Vaccine)
संक्रामक रोगों के खिलाफ शरीर में सक्रिय प्रतिरक्षा (Active Immunity) विकसित करने के लिए दी जाने वाली औषधि को वैक्सीन कहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को तैयार करना है, ताकि व्यक्ति या जानवर विशेष रोगों से संरक्षित रह सकें।
वैक्सीन शब्द का इतिहास:
- वैक्सीन शब्द पहली बार एडवर्ड जेनर द्वारा दिया गया था।
- सबसे पहले खोजी गई वैक्सीन चेचक (Smallpox Vaccine) वैक्सीन थी, जिसे एडवर्ड जेनर ने 1796 में Cowpox Virus से विकसित किया।
- इस वैक्सीन का उपयोग मानव में Smallpox रोग से बचाव के लिए किया गया।
- “वैक्सीन” शब्द की उत्पत्ति Vaccinia Virus (Cowpox Virus) से हुई है।
वैक्सीन का सामान्य विज्ञान:
- अधिकतर वैक्सीन में एंटीजन होते हैं, जो मृत अवस्था (Inactive Form) में दिए जाते हैं।
वैक्सीन देने से पहले की सावधानियाँ:
- पशु का स्वास्थ्य जांचें:
वैक्सीनेशन से पहले, पशु का स्वास्थ्य पूरी तरह जांच लें। यदि पशु किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे वैक्सीनेशन न करवाएं। - Deworming:
वैक्सीनेशन से पहले पशु की Deworming जरूर करवाएं। - स्वस्थ पशु पर ध्यान दें:
टीकाकरण केवल उन्हीं पशुओं में करवाएं, जो पूरी तरह स्वस्थ हों। - इंजेक्शन का स्थान:
अधिकतर जानवरों में वैक्सीन चमड़ी के नीचे (Subcutaneous – S/C) इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है।
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ब्लैक क्वार्टर रोग का दूसरा नाम क्या है?
– Black Leg
– Quarter Leg
– जहरबाद
– काला बुखार
– Quarter Ill