Foot-and-Mouth Disease in Cattle: Understanding the Viral Epidemic
FMD रोग , जिसे “खुरपका मुँहपका रोग” के रूप में भी जाना जाता है, विभाजित खुर वाले जानवरों जैसे गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर में होने वाला अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है। जो पशुओ में दुग्ध उत्पादन व ऊन उत्पादन की दृष्टि से पशुपालको को आर्थिक नुकसान पहुँचाता है। पशुओं में एफएमडी रोग सबसे अधिक गायों में पाया जाता है। यह लेख बताएगा कि खुरपका मुँहपका रोग क्या है, इसका पशुओं पर प्रभाव, और इस सक्रामक रोग के प्रसार को नियंत्रित और रोकने के प्रभावी तरीके क्या हैं।
Foot-and-Mouth Disease (FMD) in Cattle
Conservation Status | Not Applicable |
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Scientific Classification |
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Common Name | Foot-and-Mouth Disease (FMD) |
Affected Animals |
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Symptoms |
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Transmission |
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Diagnosis | Based on clinical symptoms (mouth and hoof lesions) and confirmatory tests (ELISA, RT-PCR) |
Treatment | No specific treatment; secondary infections managed with antibiotics (Oxytetracycline) |
Vaccination |
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Control and Prevention |
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The Rajasthan Express: FMD in Cattle – Symptoms & Prevention |
Q. What Is Foot-and-Mouth Disease?
- खुरपका मुँहपका रोग (FMD) एक वायरल बीमारी (Viral Disease) है जो PicornaVirdae के Aphthovirus के कारण होता है। इसी कारण FMD रोग को Aphthous Fever भी कहते हैं।
- जानवरों में सबसे छोटा वायरस Picorna Virus है। यह प्रमुख सात प्रकार के होते हैं। भारत में FMD Disease मुख्यतः A, O, ASIA-1 Strains द्वारा होता है । भारत में C Strain को उन्मूलित कर दिया गया।
- यह रोग के कारण पशुओं में दुग्ध उत्पादन, मांस की गुणवत्ता, और उन उत्पादन कमी आती है जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान पहुँचाता है।
- FMD विभाजित खुर वाले जानवरों को प्रभावित करता है, जिसमें गाय, भैंस, बकरी, भेड़, और सूअर शामिल हैं, जबकि अविभाजित खुर वाले जानवर जैसे घोड़े और गधे इस रोग से प्रभावित नहीं होते हैं।
Synonyms of Foot-and-Mouth Disease :
- FMD (Foot & Mouth Disease), Hoof and Mouth Disease (HMD), Aphthous Fever, Aphthae epizooticae , खुरपका मुँहपका रोग।
Etiology Of FMD :
- FMD is caused by the Picornaviridae family’s Aphtho Virus.
- It is one of the smallest viruses in animals, belonging to the Picorna Virus group.
- There are seven serotypes: A, O, C, SAT-1, SAT-2, SAT-3, and ASIA-1, with India mainly affected by A, O, C, and ASIA-1 strains.
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Symptoms of Foot-and-Mouth Disease (FMD) in Cattle :
मुँह के घाव (Mouth Lesions):
- मुँह, जीभ, और मसूड़ों में अल्सर और फफोले बनते हैं, जिससे गायों के लिए खाना और पीना कठिन हो जाता है। (Ulcers and Blisters form in the Mouth, Tongue, and Gums)
उच्च बुखार (High Fever):
- गायों के शरीर का तापमान अचानक बढ़ जाता है, जो 104°F से 106°F के बीच होता है।
दुग्ध उत्पादन में कमी (Decreased Milk Production):
- मुँह के दर्द और बुखार के कारण गायों का दूध उत्पादन कम हो जाता है।
खुरों के घाव (Hoof Lesions:):
- खुरों के बीच और आस-पास के हिस्सों में फफोले बनते हैं, जिससे लंगड़ापन और चलने में कठिनाई होती है। (Lameness)
भोजन में कमी (Loss of Appetite):
- मुँह के घावों के कारण गायों की खाने की इच्छा कम हो जाती है।
Tigor Heart Condition:
- अधिकांश जानवर अन्त में एफएमडी से ठीक हो जाते हैं, लेकिन यह रोग नवजात बछड़ो में Myocarditis (inflammation of the heart muscles) पैदा करता है जिससे ह्रदय में वसा का जमाव हो जाता और मृत्यु का कारण बन जाती है इस स्थिति को Tigor Heart कहते है।
Transmission of Foot-and-Mouth Disease (FMD) :
The virus is present in saliva, milk, urine, and feces of infected animals. (FMD वायरस रोगी पशु के मूत्र , मल ,लार आदि में उपस्थित होते है। )
1. Aerosol (वायु):
- वायरस हवा के माध्यम से दूर-दूर तक फैल सकता है।
2. Contaminated Materials (संक्रमित सामग्री):
- रोगी पशु से संक्रमित उपकरण, चारा, और पानी से स्वस्थ जानवरों में FMD रोग फ़ैल सकता है।
3. Insect Vectors (कीट वाहक):
- मच्छर और अन्य कीट वायरस को एक जानवर से दूसरे जानवर तक फैला सकते हैं।
Diagnosis of Foot-and-Mouth Disease (FMD) :
- Based on clinical symptoms such as mouth and hoof lesions. (मुँह व खुरों के घाव के आधार पर)
- Confirmatory tests include ELISA and Rt-PCR tests.
Treatment of Foot-and-Mouth Disease (FMD) :
No specific treatment available for FMD.
- Foot and Mouth Disease एक वायरस जनित रोग है जिसका कोई प्रभावी इलाज नहीं है।
- FMD रोग मैं सेकेंडरी इन्फेक्शन को रोकने के लिए Oxytetracycline Antibiotics दी जाती है।
Oxytetracycline Dose Rate :- 5 – 10 mg/kg.b.wt , Route – Use Only Intra Muscular (I/M)
- मुंह व खुरों के घावों को लाल दवा (Potassium Permanganate) से दिन में एक – दो बार साफ करें।
- घाव को साफ करने के बाद Antibacterial Paste या 1-2% Boroglycrine / 4% सोडियम कार्बोनेट का लेप करें।
Note: FMD (Foot-and-Mouth Disease) रोग में Oxytetracycline Antibiotics को रामबाण माना जाता है।
” ग्रामीण क्षेत्रों में Oxytetracycline Antibiotics को ‘पीली दवा ‘ या टेरामाइसीन के नाम से भी जाना जाता है। “
Vaccination of Foot-and-Mouth Disease (FMD) :
- मुँहपका खुरपका रोग (FMD) एक विषाणु जनित रोग (Viral Disease) है जिसका कोई प्रभाव इलाज नहीं है इसलिए टीकाकरण (Vaccination) ही एक मात्र बचाव है।
Foot And Mouth Disease Vaccine :– Raksha – Ovac Trivalent , Dose Rate – 2 ML
Route :- Deep I/M (Intra Muscular)
- एफएमडी रोग का टीकाकरण (FMD Vaccination) बछड़ी – बछड़ों में प्राथमिक टीका 2-3 माह की उम्र में दिया जाता है।
- प्राथमिक टीकाकरण के बाद प्रतिवर्ष दो बार (सितंबर व मार्च ) में टीका लगाया जाता है।
Control and Prevention of Foot-and-Mouth Disease :
- रोगी पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें।
- रोगी पशु के दूध को बछड़े को न पिलाये।
- रोगी पशुओं के दूध दोहने से पहले व बाद में हाथों लाल दवा से साफ करें।
- हर वर्ष पशुओ में FMD का टीकाकरण करवाए।
Discover foot and mouth disease (FMD) in cattle: Learn about its impact, causes, and prevention. Understand how to identify symptoms and manage outbreaks for herd health. Get insights into hoof-and-mouth disease, including how to control the epidemic and protect livestock.
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1. खुरपका – मुंहपका रोग का इलाज क्या है?
खुरपका – मुंहपका रोग का कोई प्रभावी इलाज नहीं है क्योंकि यह एक वायरस जनित रोग है। रोग के कारण होने वाले द्वितीयक संक्रमण को रोकने के लिए ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं। इसके अलावा, मुंह और खुरों के घावों को लाल दवा से साफ करना चाहिए और फिर एंटीबैक्टीरियल पेस्ट या बोरोग्लिसरीन/सोडियम कार्बोनेट का लेप करना चाहिए।
2. फुट एंड माउथ रोग कैसे होता है?
यह रोग संक्रमित पशुओं के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। रोग के वायरस लार, मूत्र, मल, दूध आदि में स्थित होते हैं और हवा, मच्छर, मांसाहारी पशु-पक्षियों के माध्यम से भी फैल सकते हैं।
3. खुरपका – मुंहपका रोग के लक्षण प्रकट होने की अवधि कितने दिन की होती है?
इस रोग की अवधि 2-6 दिनों की होती है जिसमें तेज बुखार (104°-106°F) हो सकता है।
4. एफएमडी का टीका कब लगता है?
बछड़ी-बछड़ों में प्राथमिक टीका 2-3 माह की उम्र में दिया जाता है। प्राथमिक टीकाकरण के बाद प्रतिवर्ष दो बार (सितंबर और मार्च में) टीका लगाया जाता है।
Foot And Mouth Disease Vaccine :- Raksha – Ovac Trivalent , Dose Rate – 2 ML
Route :- Deep I/M (Intra Muscular)
5. जानवरों में एफएमडी का क्या कारण है?
एफएमडी रोग का कारण पिकोर्ना वायरस है जो विभिन्न प्रकारों में पाया जाता है जैसे A, O, C, SAT-1, SAT-2, SAT-3, और ASIA-1।
6. एफएमडी किन जानवरों को प्रभावित करता है?
एफएमडी रोग मुख्यतः विभाजित खुर वाले जानवरों को प्रभावित करता है जैसे गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर आदि। यह रोग अविभाजित खुर वाले जानवरों जैसे घोड़े, खच्चर, गधे आदि को प्रभावित नहीं करता है।