मुर्गियों में विषाणु जनित रोग
मुर्गी फार्म उद्योग में वायरस जनित बीमारियां हर साल भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इनमें से कुछ बीमारियां ज़ूनोटिक होती हैं, जो न केवल मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनती हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं।
मुर्गियों में कई प्रकार की वायरस जनित बीमारियां पाई जाती हैं, लेकिन सामान्यतः देखी जाने वाली प्रमुख बीमारियां इस प्रकार हैं:
- मेरेक रोग (Marek’s Disease)
- रानीखेत रोग (Newcastle Disease) : यह एक ज़ूनोटिक बीमारी है, जो मुर्गियों से मानव प्रजाति में संक्रमण फैला सकती है।
- गम्बोरो रोग (Infectious Bursal Disease)
- बर्ड फ्लू (Bird Flu) / एवियन इन्फ्लूएंजा (फाउल प्लेग): यह एक ज़ूनोटिक बीमारी है, जो मुर्गियों से मानव प्रजाति में संक्रमण फैला सकती है।
- फाउल पॉक्स / एवियन पॉक्स (Fowl Pox)
मारेक रोग क्या है ?
मारेक रोग (Marek’s Disease – MD) एक लिम्फोमैटस और न्यूरोपैथिक रोग है, जो गैलिनेसियस पक्षियों में होता है और यह अल्फा-हर्पीज वायरस (Marek’s Disease Virus – MDV) द्वारा उत्पन्न होता है। पक्षी इस रोग से पोल्ट्री हाउस से प्रदूषित धूल के माध्यम से संक्रमित होते हैं।
Marek’s Disease, जिसे Neural Leukosis और Range Paralysis भी कहा जाता है, एक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से मुर्गियों को प्रभावित करती है। यह रोग छोटे झुंडों में आम बीमारियों में से एक है और एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद इसका इलाज संभव नहीं होता। यह बीमारी Herpes Virus (HV) द्वारा होती है और पोल्ट्री पर गंभीर प्रभाव डालती है। इसके कारण मुर्गी की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो जाती हैं, जिससे वह न तो चल पाती है और न ही उड़ पाती है। इसके अलावा, कुछ अंगों में कैंसर जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम Marek’s Disease के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में चर्चा करेंगे और यह समझेंगे कि पशुपालक इसे होने से कैसे रोक सकते हैं।
Marek’s Disease in Chickens
Type of Disease | Viral Infection (Herpesvirus) |
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Scientific Name | Marek’s Disease Virus (MDV) |
Common Names | Neural Leukosis, Range Paralysis |
Symptoms |
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Transmission |
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Age of Occurrence | 12-24 Weeks Old |
Most Affected Breeds |
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Diagnosis Methods |
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Prevention and Vaccination |
Vaccination and farm disinfection are key to preventing Marek’s Disease.
Vaccine: HVT-MD Vaccine (Herpes Virus Turkey), 0.2 mL, administered subcutaneously (S/C) to 1-day-old chicks. This vaccine effectively protects chickens from the disease, reducing infection and spread. |
Treatment | No Cure Available (Culling Recommended) |
The Rajasthan Express: Marek’s Disease Details |
मुर्गियों में मारेक रोग का क्या कारण है ? (Etiology of Marek’s Disease)
Marek’s Disease का मुख्य कारण Herpes Virus होता है। यह वायरस मनुष्यों को संक्रमित नहीं करता है। Herpes Virus से मुर्गी एक बार संक्रमित होने के बाद जीवनभर संक्रमित रहते हैं। यह वायरस मुख्य रूप से मुर्गियों के पंखों को सिग्नल सप्लाई करने वाली Brachial Nerve और पैरों को सिग्नल सप्लाई करने वाली Sciatic Nerve में सूजन उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप मुर्गियां चलने में असमर्थ हो जाती हैं, जिसके कारण इसे Range Paralysis कहा जाता है, और मुर्गियां उड़ भी नहीं पातीं।
Marek’s Disease का वायरस शरीर में B-Lymphocytes और T-Lymphocytes कोशिकाओं को संक्रमित करता है और उन्हें नष्ट कर देता है, जिससे मुर्गी की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) कमजोर हो जाती है।
मुर्गियों में मारेक का रोग का संक्रमण कैसे फैलता है? (How Marek’s Disease Spreads)
- संक्रमित धूल और मिट्टी के माध्यम से
Marek’s Disease से संक्रमित मुर्गियों द्वारा छोड़ी गई धूल और मिट्टी में वायरस मौजूद होता है। जब स्वस्थ मुर्गियां सांस के माध्यम से इस धूल या मिट्टी को ग्रहण करती हैं, तो वे संक्रमित हो जाती हैं। एक बार फार्म में वायरस का संक्रमण हो जाने के बाद यह काफी लंबे समय तक, लगभग 2-3 वर्ष तक, रह सकता है। Marek’s Disease से संक्रमित पक्षियों को निष्काशन (culling) के बाद फार्म को अच्छी तरह से एंटीसेप्टिक या डिसइंफेक्टेंट से साफ करना चाहिए। - जवान चूजे अधिक चपेट में आते हैं
यह बीमारी वयस्क मुर्गियों की तुलना में जवान चूजों (Young Chicks) को अधिक प्रभावित करती है। - भोजन और पानी के माध्यम से
संक्रमित मुर्गियों के द्वारा छोड़े गए भोजन और पानी को जब स्वस्थ मुर्गियां ग्रहण करती हैं, तो Marek’s Disease का संक्रमण फैलता है। मुर्गियों में सक्रमित बीमारियों का फैलने का खतरा सबसे ज्यादा Free Range Housing System में होता है। - मानव संपर्क के माध्यम से
फार्म पर काम करने वाले व्यक्तियों के हाथों, कपड़ों, जूतों, बालों और त्वचा के माध्यम से वायरस-युक्त धूल एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाती है। इससे स्वस्थ मुर्गियां संक्रमित हो सकती हैं। - अंडों के माध्यम से संक्रमण नहीं फैलता
Marek’s Disease का संक्रमण अंडों (Hatching Eggs) के माध्यम से नहीं फैलता। अर्थात, संक्रमित मुर्गी द्वारा दिए गए अंडे से निकलने वाले चूजे वायरस-युक्त नहीं होते हैं।
चूजे केवल तब संक्रमित हो सकते हैं जब वे Herpes Virus से युक्त धूल, मिट्टी या अन्य खाद्य पदार्थों के संपर्क में आते हैं।
मुर्गियों में मारेक रोग के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Marek’s Disease in Chickens)
Marek’s Disease में मुख्य रूप से तीन प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं:
- क्लासिकल न्यूरोलॉजिकल रूप (Classical Neurological Form)
- लिम्फोप्रोलीफेरेटिव रूप (Lymphoproliferative Form)
- वेसोजेनिक एडेमा (Vasogenic Oedema) और पैरालिसिस (Paralysis)
1. क्लासिकल न्यूरोलॉजिकल रूप (Classical Neurological Form)
- Brachial Nerve में सूजन
Marek’s Disease से ग्रसित मुर्गियों में Brachial Nerve में सूजन आ जाती है। यह नस मुर्गी के पंखों को सिग्नल देती है, लेकिन सूजन के कारण यह सिग्नल रुक जाता है, जिससे मुर्गी उड़ नहीं पाती। - Sciatic Nerve में सूजन
Sciatic Nerve मुर्गी के पैरों को चलने के लिए सिग्नल भेजती है। इस नस में सूजन होने से सिग्नल अवरुद्ध हो जाता है, जिससे मुर्गी चल नहीं पाती। इसी कारण इसे Range Paralysis कहा जाता है। - पक्षाघात (Paralysis)
Marek’s Disease से प्रभावित मुर्गियों में पैरों और पंखों का लकवा देखा जाता है। मुर्गी अपने एक या दोनों पैरों और पंखों को फैलाकर जमीन पर पड़ी रहती है। इसे “Splits” या “Sportsman-Like Posture” कहा जाता है।
2. लिम्फोप्रोलीफेरेटिव रूप (Lymphoproliferative Form)
- Grey Eye या Pearl Eye
आंखों में संक्रमण के कारण मुर्गियों की आंखों का रंग बदल जाता है, जो “Grey Eye” या “Pearl Eye” के रूप में दिखाई देता है। - Hepatomegaly और Splenomegaly
Marek’s Disease के कारण मुर्गियों के लिवर और तिल्ली का आकार सामान्य से बढ़ जाता है। इससे शरीर में कैंसर जैसी कोशिकाओं के विकास का खतरा बढ़ जाता है।
3. वेसोजेनिक एडेमा (Vasogenic Oedema) और पैरालिसिस (Paralysis)
इस रूप में मुर्गियों के मस्तिष्क में वेसोजेनिक एडेमा (जहां दिमाग में पानी भर जाता है) होता है, जिसके परिणामस्वरूप अस्थायी लकवा (paralysis) हो सकता है। यह लक्षण अधिक घातक हर्पीस वायरस के स्ट्रेन से संबंधित होता है।
मारेक रोग किस उम्र के पक्षियों को प्रभावित करता है ? (Age of Occurrence)
- मेरेक बीमारी आमतौर पर 12 से 24 सप्ताह की मुर्गियों में सबसे ज्यादा पाई जाती है। यह खासकर मुर्गियों के बढ़ते हुए चरण में देखने को मिलती है।
- लेगहॉर्न (Leghorns) और हल्के अंडे देने वाली नस्लें मेरेक बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।
- सिल्की नस्ल (Silkies) विशेष रूप से मारेक रोग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं।
मारेक की बीमारी का निदान कैसे करें? (Diagnosis of Marek’s Disease in Chickens)
विधि | उद्देश्य | संक्रमण से मुक्ति की जाँच (Population freedom from infection) | व्यक्तिगत पक्षी की संक्रमण से मुक्ति (Individual animal freedom from infection prior to movement) | उन्मूलन नीतियों में योगदान (Contribute to eradication policies) | क्लिनिकल मामलों की पुष्टि (Confirmation of clinical cases) | संक्रमण का प्रचलन – निगरानी (Prevalence of infection – surveillance) | टीकाकरण के बाद व्यक्तिगत या समूहों की इम्यून स्थिति (Immune status in individual animals or populations post vaccination) |
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हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology) | ऊतक की संरचना का अध्ययन, लिम्फोमा का पता लगाना | – | – | +++ | – | – | – |
वायरस पृथक्करण (Virus isolation) | वायरस का पृथक्करण और पहचान | – | – | + | – | – | – |
एंटीजन पहचान (Antigen detection) | वायरस के एंटीजन का पता लगाना | – | – | + | – | – | – |
PCR (Polymerase Chain Reaction) | वायरस के आनुवंशिक पदार्थ का पहचान करना | – | – | ++ | +++ | – | + |
रियल-टाइम PCR (Real-time PCR) | वायरस का तत्काल पहचान करना | – | – | +++ | +++ | – | + |
LAMP (Loop-mediated isothermal amplification) | वायरस का पहचान करना | – | – | ++ | +++ | – | + |
AGID (Agar gel immunodiffusion) | एंटीबॉडी का पता लगाना | – | – | – | + | + | + |
IFA (Indirect Fluorescent Antibody) | एंटीबॉडी का पता लगाना | – | – | – | + | + | + |
निदान के उद्देश्य:
- क्लिनिकल मामलों की पुष्टि: यह जांच सुनिश्चित करती है कि रोग के लक्षण वास्तव में मारेक रोग से संबंधित हैं।
- संक्रमण का प्रचलन – निगरानी: मारेक रोग के फैलाव का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है।
- टीकाकरण के बाद इम्यून स्थिति की जाँच: यह जांच करती है कि टीकाकरण के बाद पक्षी में एंटीबॉडी उत्पन्न हुई हैं या नहीं।
मुर्गियों में मेरिक की बीमारी को कैसे रोकें? (Vaccination / Prevention of Marek’s Disease in Chickens)
Marek’s Disease का कोई भी प्रभावी इलाज नहीं इसका बचाव ही उपचार है। Marek’s Disease से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। यह टीका मुर्गियों को 1 दिन की उम्र में लगाया जाता है।
- टीके का नाम:
HVT – MD Vaccine (Herpes Virus Turkey) - खुराक:
0.2 mL - उम्र:
1 दिन का चूजा (Day-Old Chick) - प्रयोग की विधि:
यह टीका Subcutaneous (S/C) रूप से दिया जाता है।
लाभ:
यह टीका मुर्गियों को Marek’s Disease के वायरस के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे इस बीमारी के संक्रमण और फैलाव को रोका जा सकता है।
मुर्गियों में मारेक रोग के लक्षण, कारण और रोकथाम के बारे में जानें। इस वायरल रोग के प्रभाव और अपने पोल्ट्री झुंड को सुरक्षित रखने के उपायों की जानकारी The Rajasthan Express पर प्राप्त करें।
People Also Ask
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरी मुर्गी में Marek’s है?
- पक्षाघात: मुर्गी के पैरों और पंखों में लकवा आ जाता है।
- धुंधली आंखें: आंखों का रंग बदलकर धुंधला या मोती जैसा हो जाता है।
- यकृत और तिल्ली का बढ़ना: लिवर और तिल्ली का आकार बढ़ जाता है।
- नसों में सूजन: Brachial और Sciatic नसों में सूजन होती है।
मुर्गियों में मारेक रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
मारेक के साथ मुर्गी कितने समय तक जीवित रहेगी?
मारेक रोग का कारण क्या है?
मारेक रोग का निदान कैसे किया जाता है?
- Histopathology
- Virus Isolation
- Antigen Detection
- PCR और Real-time PCR तकनीक
क्या मनुष्य को भी मारेक रोग हो सकता है?
मारेक रोग को कैसे रोकें?
मारेक वैक्सीन कब दी जानी चाहिए?
मुर्गियों में मारेक रोग के लक्षण क्या हैं?
- पक्षाघात
- धुंधली आंखें
- लिवर और तिल्ली का बढ़ना
- नसों में सूजन