Discovering The Punganur Cattle Breed
भारत में वर्तमान में देशी गायों की कुल 53 पंजीकृत देशी नस्ल है। आंध्र प्रदेश की पुंगनूर गाय (Punganur Cow) अपनी छोटी कद-काठी और बहुउपयोगिता के लिए जानी जाती है। इस नस्ल को पुंगनूर के शासकों ने विकसित किया था और यह इसी क्षेत्र के नाम पर पुंगनूर के नाम से जानी जाती है। पुंगनूर गाय को भारवाहक नस्ल (Draught Purpose) की श्रेणी में रखा जाता है।
Punganur Cow Information
Conservation Status | India: Not at risk |
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Scientific Classification |
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Origin and Distribution |
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Breed Type | Dwarf Cattle Breed (Smallest in the World) |
Physical Characteristics |
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Breeding Tract | Chittoor district (Punganur, Vayalpadu, Madanapalle, Palamaner talukas) |
Main Uses |
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Milk Production |
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Management and Feeding |
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The Rajasthan Express: Comprehensive Guide on Punganur Cattle |
पोंगनूर गाय का मूल स्थान और वितरण (Origins and Distribution of Punganur Cow)
पुंगनूर गाय दुनिया की सबसे छोटी कद-काठी वाली भारतीय नस्ल” गाय की उत्पति भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में मुख्य रूप से पुंगनूर, वायलपाड, मदनपल्ले और पालमनेर तालुका से हुई है। पोंगनूर गाय मुख्यत चित्तूर जिले के सीमावर्ती इलाकों देखने को मिलती है। पोंगनूर विश्व की सबसे छोटी गाय की नस्ल (Dwarf cattle) है। पुंगनूर गाय (Punganur Cattle) की मुख्य पहचान इसका छोटा कद है।
प्रजनन क्षेत्र और विशेषताएं (Breeding Tract and Characteristics)
पुंगनूर गाय (Punganur Cow) का प्रजनन क्षेत्र (Breeding Center) चित्तूर जिले में मुख्य रूप से पुंगनूर, वायलपाड, मदनपल्ले और पालमनेर तालुका में है। यह क्षेत्र 78°40′ और 79°10′ देशांतर और 13°10′ और 13°40′ अक्षांश के बीच स्थित है। पोंगनूर गाय को मुख्यत भारवाहक / बोझा ढोने के (Draught Purpose) काम में लिया जाता है। किसानों द्वारा कृषि कार्य व् बैल गाड़ियों को खींचने के लिए उपयोग किया जाता है।
शारीरिक विशेषताएं (Physical Attributes)
शरीर (Body):
- पुंगनूर गाय (Punganur Cow) का शरीर आकार में छोटे से मध्यम होते हैं। इनका कद छोटा होता है जिससे इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है।
सिर (Forhead) :
- पुंगनूर गाय का माथा चौड़ा व् मध्यम आकार का होता है।
रंग (Colour) :
- पुंगनूर गाय का रंग सफेद, धूसर, हल्का भूरा से गहरे भूरे या लाल रंग का होता है।
सींग (Horn) :
- पुंगनूर गाय के सींग अर्धचंद्राकार (Half-Moon Like Shape) होते हैं।
Note : गिर नस्ल की गायों में सींग ‘ अर्धचंद्राकार ‘ (Half-Moon Like Shape) होते हैं।
उपयोग और अनुकूलता (Utilization and Adaptability)
पुंगनूर गाय (Punganur Cow) को मुख्य रूप से हल्के कृषि कार्य और गाड़ी खींचने के लिए उपयोग की जाती है। इनके दूध में उच्च वसा प्रतिशत होता है, जिससे यह डेयरी उत्पादों के लिए उपयुक्त होती हैं। पुंगनूर गाय के छोटे कद होने के कारण इसका पालन – पोषण आसानी से किया जा सकता है।
प्रबंधन और चारा (Management and Feeding)
इन गायों का प्रबंधन अर्ध – सघन प्रणाली (Semi-Intensive Systems) के तहत किया जाता है। अर्ध – सघन प्रणाली आवास में पशु के लिए घूमने फिरने के लिए खुला क्षेत्र व् प्रतिकूल स्थितियों के बंद आवास / छत होती है। पुंगनूर गाय की देखभाल और पालन पोषण बकरीपालन के भाँति किया जा सकता हैं। पुंगनूर गाय को आहार में धान का भूसा, गन्ने के शीर्ष, मूंगफली की भूसी और शहतूत की पत्तियों दी जाती है।
दुग्धउत्पादन (Milk Production)
पुंगनूर गाय एक ब्यात में औसतन 546 Kg दूध उत्पादन करती है। पोंगनूर गाय में प्रति ब्यात 194 से 1100 Kg के बीच दूध उत्पादन होता है। पोंगनूर गाय के दुग्ध में 5 % Fat होती है।
- Milk Yield Per Lactation(kg) – 546 Kg Milk (Min. 190 , Max. 1100)
- Milk Fat(%) – 5 % Fat
पुंगनूर गाय की जनसंख्या और संरक्षण (Population and Conservation)
वर्ष 1997 में, पुंगनूर नस्ल की आबादी बहुत कम थी, आंध्रप्रदेश राज्य में केवल 21 गायों की पहचान की गई थी। हालांकि, 2013 तक संख्या बढ़कर 2772 हो गई। इस नस्ल के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई है जिसमे लोगो को पोंगनूर गाय के बारे जागरूक किया गया है।
20वीं पशुधन गणना के अनुसार पशुधन आबादी :
1. कुल पशुधन आबादी:
- 2019 में देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जो 2012 की गणना की तुलना में 4.6% अधिक है।
2. कुल गायों की संख्या:
- 2019 में कुल गायों की संख्या 192.49 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में 0.8% ज्यादा है। देशी गायो में सबसे लम्बा दुग्धकाल ” गिर गाय (Gir Cattle) ” का होता है।
मुख्य बिंदु (Key Points)
- भारत की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली/भारवाहक नस्ल अमृत महल है।
- महाराष्ट्र की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली/भारवाहक नस्ल खिलारी है।
- राजस्थान की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली/भारवाहक नस्ल नागोरी है।
- गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स के अनुसार, दुनिया की सबसे छोटी गाय की नस्ल “वेचुर” है।
- विश्व की सबसे छोटी गाय की नस्ल (Dwarf cattle) पुंगनूर गाय है।
- भारत की देशी गायों में सबसे लंबा दुग्धकाल गिर गाय का होता है।
- भारत की सबसे अच्छी द्विप्रयोजनी नस्ल हरियाणा नस्ल है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पुंगनूर गाय (Punganur Cow) भारत की अद्वितीय देशी नस्लों में से एक है, जिसे आंध्र प्रदेश के पोंगनूर क्षेत्र में विकसित किया गया था। अपने छोटे कद, उच्च वसा वाले दूध, और बहुउपयोगिता के कारण यह नस्ल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पुंगनूर गायें न केवल हल्के कृषि कार्यों और गाड़ी खींचने में सहायक होती हैं, बल्कि इनका पालन-पोषण भी आसान है। सरकारी संरक्षण प्रयासों और जागरूकता अभियानों के चलते, पोंगनूर गायों की जनसंख्या में सुधार हो रहा है। यह नस्ल भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण योगदान देती है, और इसके संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
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पुंगनूर गाय की खासियत क्या है?
पुंगनूर गाय की सबसे प्रमुख खासियत उसका छोटा कद और बहुउपयोगिता है। यह गायें मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाती हैं और इन्हें भारवाहक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इनके छोटे कद और उच्च वसा वाले दूध के कारण इन्हें पालना और पोषित करना आसान होता है।
पुंगनूर गाय दूध कितना देती है?
पुंगनूर गाय एक ब्यात में औसतन 546 किलोग्राम दूध उत्पादन करती है। इसके दूध में 5% वसा होती है, जो डेयरी उत्पादों के लिए इसे उपयुक्त बनाता है। दूध उत्पादन 194 से 1100 किलोग्राम के बीच हो सकता है।
पुंगनूर गाय कहां उपलब्ध है?
पुंगनूर गाय मुख्य रूप से भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले के पुंगनूर, वायलपाड, मदनपल्ले और पालमनेर तालुका में पाई जाती है। यह नस्ल मुख्यतः चित्तूर जिले के सीमावर्ती इलाकों में उपलब्ध है।
पुंगनूर किस लिए प्रसिद्ध है?
पुंगनूर गाय अपने छोटे कद और बहुउपयोगिता के लिए प्रसिद्ध है। यह गायें हल्के कृषि कार्यों और गाड़ी खींचने में उपयोगी होती हैं। इनके छोटे कद के कारण इन्हें पालना और पोषित करना आसान होता है, और इनके दूध में उच्च वसा प्रतिशत होता है, जो डेयरी उत्पादों के लिए उपयुक्त है।
दुनिया की सबसे छोटी गाय कौन सी है?
दुनिया की सबसे छोटी गाय पुंगनूर गाय है। इसका कद सबसे छोटा होता है और यह विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाती है।