Operation Flood: Revolutionizing India’s Dairy Industry – The White Revolution

 Operation Flood: Transforming India’s Dairy Industry and Empowering Rural Livelihoods

ऑपरेशन फ्लड (White Revolution), जिसे 1 जुलाई 1970 को चौथी पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू किया गया था, भारतीय डेयरी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी जिसे श्वेत क्रांति का नाम दिया गया । इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना, किसानों को दूध की उचित कीमत दिलाना और उन्हें बिचौलियों के शोषण से मुक्त करना था। ऑपरेशन फ्लड को विश्व का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम माना जाता है।

इस क्रांतिकारी परियोजना की शुरुआत डॉ. वर्गीज कुरियन ने की, जिन्हें ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया (Milk Man of India)’ के नाम से भी जाना जाता है। ऑपरेशन फ्लड का संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB – National Dairy Development Board) द्वारा किया गया।

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Objectives and Goals of Operation Flood (उद्देश्य)

1. Increase Milk Production: 

  • “दूध की बाढ़” लाने के लक्ष्य के साथ, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दूध उत्पादन को बढ़ाना  था ।

2. Augment Rural Incomes: 

  • ग्रामीण डेयरी किसानों को सशक्त बनाकर, Operation Flood ने उनकी आय बढ़ाने का उद्देश्य रखा।

3. Ensure Reasonable Prices for Consumers: 

  • यह उपभोक्ताओं (Consumers) के लिए दूध की कीमतों को स्थिर रखने के लिए काम करता था, जिससे कि वे सस्ती बनी रहे 
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Phase I: The Foundation of Success (1970-1980) 

ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) का पहला चरण 1970 से 1980 तक, यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC – European Economic Community) द्वारा वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के माध्यम से उपहार स्वरूप दिए गए स्किम्ड मिल्क पाउडर और मक्खन तेल की बिक्री से आर्थिक रूप से सहायता प्राप्त हुई थी। इसके द्वारा ऑपरेशन फ्लड की योजना की तैयारी की गई और EEC सहायता के विवरण पर चर्चा हुई। इस चरण के दौरान, ऑपरेशन फ्लड ने भारत के 18 प्रमुख मिल्कशेड्स (Milk Sheds) को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे चार बड़े महानगरों के उपभोक्ताओं के साथ जोड़ा।

Phase II: Expansion and Self-Reliance (1981-1985)

ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) का दूसरा चरण, 1981 से 1985 तक, ने मिल्कशेड्स की संख्या को 18 से बढ़ाकर 136 कर दिया और दूध के लिए शहरी बाजारों की संख्या को 290 तक बढ़ा दिया। 1985 के अंत तक, इस कार्यक्रम ने 43,000 ग्राम सहकारी समितियों का एक आत्मनिर्भर प्रणाली स्थापित की, जो 4.25 मिलियन दूध उत्पादकों को कवर करती थी। घरेलू दूध पाउडर उत्पादन 22,000 टन से बढ़कर 1989 तक 140,000 टन हो गया, जिसका श्रेय ऑपरेशन फ्लड के तहत स्थापित डेयरियों को जाता है। EEC उपहारों और वर्ल्ड बैंक ऋण ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया, और उत्पादकों की सहकारी समितियों द्वारा प्रत्यक्ष दूध विपणन प्रति दिन कई मिलियन लीटर तक बढ़ गया।

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Phase III: Consolidation and Innovation (1985-1996)

तीसरा चरण, 1985 से 1996 तक, ने डेयरी सहकारी समितियों को दूध की बढ़ती मात्रा को खरीदने और बाजार में लाने के लिए आवश्यक वितरण केंद्र स्थापित किये गए ।  सहकारी सदस्यों (डेयरी पशुपालको) के लिए पशु  चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, चारा और कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) सेवाओं को बढ़ाया गया। 

ऑपरेशन फ्लड (White Revolution) के तृतीय चरण में द्वितीय चरण के दौरान संगठित 43,000 मौजूदा समितियों में 30,000 नई डेयरी सहकारी समितियां जोड़ी गईं। 1988-89 में मिल्कशेड्स की संख्या 136 से बढ़कर 173 तक पहुंच गई, जिसमें महिला सदस्यों और महिला डेयरी सहकारी समितियों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई।

ऑपरेशन फ्लड के तीसरे चरण में पशु स्वास्थ्य और पोषण में अनुसंधान और विकास पर जोर दिया गया ।  टीकाकरण , कृत्रिम गर्भाधान , थेलिरियोसिस , ब्रुसलोसिस , थनैला और बाईपास प्रोटीन फीड, और यूरिया-मोलासेस मिनरल ब्लॉक्स जैसी नवाचारों ने दुधारू  पशुओं की उत्पादकता में सुधार में योगदान दिया।

Impact on Rural Development and Employment (ग्रामीण विकास और रोजगार में प्रभाव )

  • ऑपरेशन फ्लड को केवल एक डेयरी कार्यक्रम के रूप में नहीं, बल्कि एक विकास कार्यक्रम के रूप में देखा गया था, जो लाखों ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार और नियमित आय उत्पन्न करता था। 
  • इस कार्यक्रम ने विश्व बैंक की 1997 की रिपोर्ट में ग्रामीण विकास दृष्टि की पुष्टि की। 
  • ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम ने ग्रामीणों लोगों व् किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्त किया। 
  • ऑपरेशन फ्लड ने न केवल दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया। 
  • इस पहल ने देश के लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद की और उन्हें बेहतर रोजगार दिया। 
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Key Points (मुख्य बिंदु)

  • श्वेत क्रांति का जनक ‘डॉ. वर्गीज़ कुरियन’ को कहा जाता है। (Milk Man of India)
  • 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है जो डॉ. वर्गीज़ कुरियन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। 
  • ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम 1970 से लेकर 1996 तक चला और कुल 26 वर्षों तक देश में दुग्ध उत्पादन और वितरण में क्रांतिकारी बदलाव लाया।
  • ऑपरेशन फ्लड का संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB – National Dairy Development Board) द्वारा किया गया।

Discover how Operation Flood, initiated on July 1, 1970, transformed India’s dairy industry through increased milk production and farmer empowerment. Led by Dr. Verghese Kurien and managed by the NDDB, this initiative is known as the White Revolution.

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ऑपरेशन फ्लड का दूसरा नाम क्या है?
ऑपरेशन फ्लड को ‘श्वेत क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है।

ऑपरेशन फ्लड के जनक कौन हैं?
ऑपरेशन फ्लड के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन हैं, जिन्हें ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है।

ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत कब की गई थी?
ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत 1 जुलाई 1970 को चौथी पंचवर्षीय योजना के तहत की गई थी।

भारत में श्वेत क्रांति के जनक कौन हैं?
भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन हैं।

श्वेत क्रांति का अर्थ क्या है?
श्वेत क्रांति का अर्थ है दुग्ध उत्पादन में व्यापक वृद्धि और डेयरी उद्योग का विकास, जिससे देश दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके।

ऑपरेशन फ्लड का मुख्य उद्देश्य क्या है?
ऑपरेशन फ्लड का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना, किसानों को दूध की उचित कीमत दिलाना और उन्हें बिचौलियों के शोषण से मुक्त करना था।

ऑपरेशन फ्लड का प्रथम चरण कब शुरू हुआ?
ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) का पहला चरण 1970 से 1980 तक, यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC – European Economic Community) द्वारा वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के माध्यम से उपहार स्वरूप दिए गए स्किम्ड मिल्क पाउडर और मक्खन तेल की बिक्री से आर्थिक रूप से सहायता प्राप्त हुई थी।