गिर नस्ल (GIR BREED)
परिचय (Introduction) :
जन्म स्थान: गिर नस्ल (Gir Cattle) का जन्म स्थान काठियावाड़ , गिर जंगलों, गुजरात माना जाता है। इसके कारण इसे काठियावाड़ी, सुरती, अजमेरा और रेंडा (राजस्थान में) गाय के रूप में भी जाना जाता है। गिर गाय एक देशी नस्ल (Indigenous Cattle Breeds) की दुधारू नस्ल (Milk Breeds) है जो मुख्यत : दुग्ध उत्पादन के लिए डेयरी फार्मो व् किसानों द्वारा पाला जाता है। गिर नस्ल की महत्वपूर्णता भारत में उच्च दूध उत्पादन और विभिन्न जलवायु स्थितियों में अनुकूलता के कारण होती है। भारत में वर्तमान में देशी गायों की कुल 53 पंजीकृत देशी नस्ल है। भारत की पहली सिंथेटिक गाय की नस्ल फ्रिस्वाल है। यह एक सिंथेटिक डेयरी पशु है जिसमें साहीवाल (37.5) और हॉलस्टीन फ्रीजियन (62.5) का लक्षण है।
शारीरिक लक्षण (Physical Characteristics) :
- गिर नस्ल की गायों (Gir Cow) का रंग गहरा लाल, भूरा, और काले धब्बे से भरा होता है।
- इसका ललाट (ForeHead) उभरा होता है और माथा चौड़ा होता है।
- गिर नस्ल की गायों (Gir Cattle) के कान नीचे लटके हुए लम्बे मुड़े होते हैं, जो पत्तिनुमा रूप जैसे होते है। (Leaf Like Shape) .
- गिर नस्ल की गायों में सींग ‘ अर्धचंद्राकार ‘ होते हैं। (Half-Moon Like Shape)
- गिर नस्ल की गायों में Hip Bone (कूल्हे की हड्डी) उभरी हुई होती है।
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Key Point :
- देसी गायों (Indigenous Cattle Breeds) में सबसे लंबा दूध काल गिर नस्ल की गाय का है। जो 325 दिन का होता है। भेंसो में सबसे लम्बा दुग्धकाल मेहसाणा भैंस का होता है जो 352 (+/-) 15 दिन का होता है।
- गिर नस्ल (Gir Cattle) की प्रमुख पहचान उसकी गहरी लाल, भूरी और काली धब्बों वाली चमड़ी से होती है। यह रंग विशेषता से इसे पहचाना जा सकता है।
- गिर नस्ल (Gir Cattle) की एक अन्य मुख्य पहचान उसके माथे का उभार और लम्बे, पत्तिनुमा कान होते हैं। इन विशेषताओं के माध्यम से भी इसे पहचाना जा सकता है।
Milk Production / Productivity :
- गिर नस्ल (Gir Cow) की गायें लगभग 1600 से 2500 लीटर दूध प्रति वर्ष का उत्पादन करती हैं।
- इस प्रजाति की गायों का दूध सबसे लंबे समय तक आधारित दूध उत्पादन करता है, जो कारण इसे उत्कृष्टतम दूध उत्पादक माना जाता है। इसका दुग्धकाल 325 दिन का होता है।
भारत में पशुधन की आबादी 20वीं पशुधन गणना के अनुसार :
1. कुल पशुधन आबादी:
- 2019 में देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जो 2012 की गणना की तुलना में 4.6% अधिक है।
2. कुल गायों की संख्या:
- 2019 में कुल गायों की संख्या 192.49 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में 0.8% ज्यादा है। देशी गायो में सबसे लम्बा दुग्धकाल ” गिर गाय (Gir Cattle) ” का होता है।
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गिर नस्ल की उत्पत्ति कहाँ हुई है?
गिर नस्ल की उत्पत्ति गुजरात के काठियावाड़, गिर जंगलों से हुई है, और इसे काठियावाड़ी, सुरती, अजमेरा, और रेंडा के नाम से भी जाना जाता है।
गिर पशुओं की शारीरिक विशेषताएं क्या हैं?
गिर पशुओं की पहचान उनकी गहरी लाल, भूरी, और काली धब्बों से होती है। उनका माथा चौड़ा होता है, और लम्बे, पत्तिनुमा कान होते हैं जो पत्तिनुमा रूप में होते हैं। उनकी सींग अर्धचंद्राकार की होती हैं, और उनकी हिप बोन (कूल्हे की हड्डी) भी उभरी होती है।
गिर नस्ल कैसे पहचानी जाती है?
गिर नस्ल को मुख्यतः उसकी गहरी लाल, भूरी, और काली धब्बों से पहचाना जाता है, जो इसे अन्य नस्लों से अलग बनाते हैं। साथ ही, उनका चौड़ा माथा और लम्बे पत्तिनुमा कान भी मुख्य पहचान के रूप में काम करते हैं।
गिर नस्ल की गायों का दूध उत्पादन कितना होता है?
गिर पशुओं का दूध उत्पादन उनकी उच्च क्षमता के लिए प्रसिद्ध है, जो साल में लगभग 1600 से 2500 लीटर होता है। देसी गायों में सबसे लंबा दूध काल गिर नस्ल की गाय का है। जो 325 दिन का होता है।
भारत की सबसे लंबे दुग्धकाल वाली देशी गाय की नस्ल कौनसी है?
भारत में सबसे लंबे दुग्धकाल वाली देशी गाय की नस्ल “गिर नस्ल” है। गिर नस्ल की गायें उत्कृष्ट दूध उत्पादक होती हैं और उनका दूध कारणीय लंबे समय तक आवश्यकतानुसार उत्पादित किया जा सकता है। इस नस्ल की गायें लगभग 325 दिन तक दूध उत्पादित कर सकती हैं, जो भारतीय डेयरी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
गिर गाय एक दिन में कितना लीटर दूध देती है ?
गिर गाय एक दिन में 16 से 20 लीटर दूध देती है। इसी कारण गिर नस्ल की गायें भारत की सबसे लम्बे दुग्ध काल वाली गाय है।