Cattle and Buffalo In Vaccination Schedule
आज हम और हमारा वातावरण एक ऐसे प्रदूषित घेरे में हैं जो हर दिन नई बीमारियों को जन्म दे रहा है। इसका प्रभाव सिर्फ हम पर ही नहीं, बल्कि हमारे आस-पास के पेड़-पौधों, पशुओं, पक्षियों पर भी पड़ रहा है। आज इंसानों की तरह पशु-पक्षियों में भी नई-नई बीमारियाँ रोजाना जन्म ले रही हैं। इसके कारण पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत जैसे विकासशील देश में, जहां पशुपालन आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यदि पशुओं में अचानक कोई महामारी फैलती है, तो इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ता है।
नई बीमारियों का इलाज खोजने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जो बीमारियाँ पहले से मौजूद हैं और जिनके टीके उपलब्ध हैं, उनका सही समय पर टीकाकरण न करने पर भी आर्थिक जोखिम बढ़ जाता है। कुछ भ्रामक जानकारी के कारण कुछ पशुपालक अपने पशुओं का टीकाकरण नहीं कराते, जिसका खामियाजा उन्हें आर्थिक नुकसान के रूप में भुगतना पड़ता है।
समय पर टीकाकरण न करवाने के कारण रोग एक पशु से दूसरे पशु में फैल कर महामारी का रूप ले लेते हैं। इससे उस क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था, आर्थिक प्रगति, पशु की आबादी आदि पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इन समस्याओं से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि जिन बीमारियों के टीके उपलब्ध हैं, उनका समय पर टीकाकरण किया जाए और पशुपालकों को टीकाकरण के लाभों के प्रति जागरूक किया जाए।
पशुपालकों को सभी प्रकार के संक्रामक रोगों का टीकाकरण प्राथमिकता से करवाना चाहिए। आजकल संयुक्त टीके भी उपलब्ध हैं, जो एक ही शॉट से कई रोगों से पशुओं को बचाते हैं। सरकार टीकाकरण के लिए कई अभियान और योजनाएं चलाती है, ताकि पशुओं को बीमारियों से और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।
गाय – भैंसो में टीकाकरण उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने और आपके पशुधन की उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। एक सुव्यवस्थित टीकाकरण अनुसूची सामान्य बीमारियों के प्रकोप को रोक सकती है, जिससे आपके जानवरों और आपकी आजीविका की सुरक्षा होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित गाय और भैंस के लिए आवश्यक टीकाकरण अनुसूची की जानकारी प्रदान करेंगे।
टीका (Vaccine) :
किसी संक्रामक रोग के विरुद्ध शरीर में दी जाने वाली सक्रीय प्रतिरक्षा (Active Immunity) औषधि को वैक्सीन कहते है।इसका मुख्य उद्देश्य होता है रोग प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को तैयार करना ताकि व्यक्ति व् जानवर किसी निश्चित रोग के खिलाफ संरक्षित रह सके।
वैक्सीन देने से पहले सावधानियाँ :
- वैक्सीनेशन से पहले, पशु का स्वास्थ्य पूरी तरह से जाँच ली जानी चाहिए। यदि पशु किसी बीमारी से पीड़ित है तो उस वैक्सीनेशन न करवायें।
- वैक्सीनेशन से पहले, पशु की Deworming जरूर करवायें।
- वैक्सीनेशन उसी पालतू जानवर में करवाएं जो पूरी तरह स्वस्थ हो।
- ज्यादातर जानवरो में वैक्सीन चमड़ी के निचे (Sub Cut – S/C ) इंजेक्शन के द्वारा दी जाती है।
समय पर टीकाकरण करवाने के लाभ:
- यदि पशु स्वस्थ रहेगा, तो दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ होगा।
- पोल्ट्री में अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन बढ़ेगा।
- पशु उत्पादों का सेवन करने वालों में पशु से मानव में होने वाली बीमारियों की संभावना कम होगी।
- देश की अर्थव्यवस्था को प्रगति मिलेगी।
- वैक्सीनेशन उसी पालतू जानवर में करवाएं जो पूरी तरह स्वस्थ हो।
- ज्यादातर जानवरो में वैक्सीन चमड़ी के निचे (Sub Cut – S/C ) इंजेक्शन के द्वारा दी जाती है।
समय पर टीकाकरण करवाने के लाभ:
- यदि पशु स्वस्थ रहेगा, तो दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ होगा।
- पोल्ट्री में अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन बढ़ेगा।
- पशु उत्पादों का सेवन करने वालों में पशु से मानव में होने वाली बीमारियों की संभावना कम होगी।
- देश की अर्थव्यवस्था को प्रगति मिलेगी।
गाय और भैंस के लिए प्रमुख टीके (Key Vaccines for Cattle and Buffalo)
विभिन्न जीवाणु और विषाणु जनित बीमारियों के लिए विशेष टीकों की आवश्यकता होती है जो जानवरों के उम्र के विभिन्न चरणों में दिए जाते हैं। यहां गाय और भैंस के लिए प्रमुख टीकों की जानकारी दी गई है:
1. Hemorrhagic Septicemia (HS)
- Vaccine: HS Alum Precipitated or Oil Adjuvant
- Dose: 5 ml (S/C)
- Schedule: छह महीने की आयु में पहली खुराक, फिर हर वर्ष में मई/जून और अक्टूबर/नवंबर में।
2. Foot and Mouth Disease (FMD)
- Vaccine: Raksha – Ovac Trivalant Vaccine.
- Dose: 2 ml (Deep I/M – Intra Muscular)
- Schedule: First dose at three months of age, booster at nine months, then every six months. (तीन महीने की आयु में पहली खुराक, नौ महीने में बूस्टर, फिर हर छह महीने बाद (साल में दो बार )
3. Brucellosis Disease
- Vaccine: Brucella. abortus Strain – 19 Vaccine (Cotton Strain -19)
- Dose: 5 ml (S/C)
- Schedule: Administer to female calves aged 4-6 months, once in a lifetime. (4-6 महीने की उम्र की मादा बछिया को एक बार जीवन में।)
4. Infectious Bovine Rhinotracheitis (IBR)
- Vaccine: IBRIVAX
- Dose: 2 ml (S/C)
- Schedule: Annually.
5. Black Quarter (BQ)
- Vaccine: Black Quarter Vaccine / BQ Vaccine
- Dose: 5 ml (S/C)
- Schedule: Annually before the Rainy season. (वर्षा ऋतु से पहले सालाना) ।
Most Vaccines are Given by Injection Under the Skin (Sub Cut – S/C). |
6. Anthrax Disease
- Vaccine: Sterne Spore Vaccine
- Dose: 1 ml (S/C)
- Schedule: First dose at 6 months of age, then every Year.
6. Theileriosis
- Vaccine: Schizont Vaccine
- Dose: 3 ml (S/C)
- Schedule: First dose at 2 – 3 months of age, then every 3 Year.
मासिक टीकाकरण अनुसूची (Monthly Vaccination Schedule)
1. January
- Disease: Brucellosis
2. February
- Disease: Enterotoxemia (ET)
3. April
- Disease: Foot and Mouth Disease (FMD)
4. June
- Disease: Haemorrhagic Septicemia (HS)
Vaccinations Schedule for Cattle and Buffalo
Vaccine | Disease | Dose | Schedule |
---|---|---|---|
HS Vaccine | Hemorrhagic Septicemia (HS) | 5 ml (S/C) | At 6 months of age |
Raksha – Ovac Trivalant Vaccine | FMD | 2 ml (Deep I/M) | At 3 months of age |
Brucella abortus Strain – 19 Vaccine (Cotton Strain -19) | Brucellosis Disease | 5 ml (S/C) | At 4 – 6 months of age |
IBRIVAX | IBR | 2 ml (S/C) | Annually |
Sterne Spore Vaccine | Anthrax Disease | 1 ml (S/C) | At 6 months of age , then every Year. |
Schizont Vaccine | Theileriosis Disease | 3 ml (S/C) | At 2-3 months of age , then every 3 Year. |
BQ Vaccine | Black Quarter (BQ) | 5 ml (S/C) | Annually before the Rainy season |
Comprehensive Vaccination Schedule for Livestock: Rajasthan Express Guide |
Ensure your cattle and buffalo are protected with our comprehensive vaccination guide. Learn about the essential vaccines, schedules, and methods to maintain herd health.
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वैक्सीन क्या है और यह कैसे काम करती है?
किसी संक्रामक रोग के विरुद्ध शरीर में सक्रीय प्रतिरक्षा उत्पन्न करने वाली औषधि को वैक्सीन कहते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को उस रोग के खिलाफ पहचान और लड़ाई के लिए तैयार करती है। वैक्सीन शब्द का प्रयोग सबसे पहले एडवर्ड जेनर ने किया था, जिन्होंने 1796 में स्मॉलपॉक्स के लिए काउपॉक्स वायरस वैक्सीन की खोज की थी।
गाय और भैंस को टीका लगाने से पहले क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
- सुनिश्चित करें कि पशु स्वस्थ है और किसी बीमारी से पीड़ित नहीं है।
- टीकाकरण से पहले पशु की डिवर्मिंग जरूर करवाएं।
- केवल स्वस्थ जानवरों में ही टीकाकरण करवाएं।
- ज्यादातर टीके चमड़ी के नीचे (Sub Cut – S/C) इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाते हैं।
क्या बीमार जानवरों को वैक्सीन दी जा सकती है?
नहीं, बीमार जानवरों को वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। टीकाकरण से पहले यह सुनिश्चित करें कि पशु स्वस्थ हो।
टीकाकरण से पहले जानवरों की डिवर्मिंग क्यों आवश्यक है?
डिवर्मिंग से पशु आंतरिक परजीवियों से मुक्त हो जाते हैं, जिससे वैक्सीन की प्रभावशीलता बढ़ती है।
गाय और भैंस में अधिकांश टीके कहाँ दिए जाते हैं?
अधिकांश टीके चमड़ी के नीचे (Sub Cut – S/C) इंजेक्शन के माध्यम से दिए जाते हैं।
वैक्सीन शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
वैक्सीन शब्द की उत्पत्ति एडवर्ड जेनर द्वारा विकसित काउपॉक्स वायरस वैक्सीन से हुई, जिसका उपयोग मानव में स्मॉलपॉक्स को रोकने के लिए किया गया था।