“Branches of Animal Genetics and Breeding: Definition and Its Role in Breeding

Branches of Animal Genetics & Breeding 

1. Genetics (आनुवंशिकी) :

  • जेनेटिक्स में वंशागति (Heredity) और विभिन्नता (Variation) का अध्ययन किया जाता है।

  • Study of heredity (वंशागति) and variation (विभिन्नता)

2. Heredity (वंशागति / आनुवंशिकता ) – 

  • माता-पिता से लक्षणों का बच्चों में जाना।

  • Explanation of how traits are passed from parents to offspring.

  • Impact of parental characteristics on offspring.

3. Inheritance (वंशानुक्रम ) – 

  • माता-पिता से बच्चों में लक्षणों की अभिव्यक्ति, यानी बच्चे लक्षणों को विरासत में पाते हैं या नहीं।

  • Observing the expression of traits from parents to offspring.

  • Determining whether traits are inherited or not.

4. Variation (विभिन्नता) – 

  • एक ही प्रजाति में जो संरचनात्मक और क्रियात्मक अंतर होता है, उसे विभिन्नता कहते हैं।

विभिन्नता तीन प्रकार की होती है : –

1. फिनो टाइप विभिन्नता (Phenotype Variation) VP

2. जीनोटाइप विभिन्नता (Genotype Variation) VG

3. प्रयावरणीय विभिन्नता (Environment Variation) VE :   

VP = VG + VE   

VG = VA + VD + VI

VP = (VG + V+ VI) + VE     

Variation (विभिन्नता) के कारण : 

  • Segregation (विभिन्नता का सबसे बड़ा कारण)

  • Crossing Over (विभिन्नता का दूसरा सबसे बड़ा कारण)

  • Mutation, Selection . 


  • Factors contributing to variation: Segregation, Crossing Over, Mutation, and Selection.

5. जीन (Gene) – 

  • जीन आनुवंशिकता की सबसे छोटी इकाई होती है (Biological Unit), जो एक लक्षण को नियंत्रित करती है। 1 जीन में दो विकल्प होते हैं, जिन्हें एलील कहा जाता है।

1 Gene = 1 लक्षण  = 2 Allele

नोट : वंशागति (Heredity) का रासायनिक आधार  (Chemical Base ) – DNA

नोट : वंशागति (Heredity)  का भौतिक आधार (Physical Base)  – Gene

नोट : वंशागति (Heredity)  का वाहक  – गुणसूत्र 

6. Pleiotropic Gene (प्लेयोट्रोपिक जीन) – 

  • एक जीन जो दो या दो से अधिक लक्षणों को नियंत्रित करता है।

  • Explanation of genes controlling multiple traits.

7. Polygenes (पॉलीजीन्स) – 

  • दो या दो से अधिक जीन जो एक लक्षण को संचालित करते हैं, उन्हें पॉलीजीन्स कहते हैं।

  • The role of multiple genes in influencing a single trait.

8. Freemartin (फ्रीमार्टिन) – 

  • जब गाय में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं और एक बछड़ा और एक बछड़ी होती हैं, तो बछड़ी बाँझ होती है क्योंकि उनके प्लेसेंटा के बीच वास्कुलर कनेक्शन बन जाता है।और नर के एंटी मुलेरियन हार्मोन मादा बछड़ी में चले जाते है जिससे मादा बछड़ी में मुलेरियन डक्ट का विकास रूक जाता है। ऐसी बछड़ी को फ़्रीमार्टिन कहते है। 

9.  Alleles (युग्म विकल्पी) – 

  • एक जीन के दो अलग-अलग रूप।

10. समयुग्मजी (Homozygous) – 

  • एक ही जीन के दोनों युग्म विकल्प समान होते हैं।Ex- TT, tt 

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11. विषमयुग्मजी (Heterozygous) – 

  • एक ही जीन के दोनों युग्म विकल्प अलग-अलग होते हैं।Ex- Tt

12. Dominant Allele (प्रभावी युग्म विकल्प) – 

  • जब विषमयुग्मजी अवस्था में दोनों एलिल अपना प्रभाव दर्शाते है। उदा – TT 

13. Recessive Allele (अप्रभावी एलिल) : 

  • जब विषमयुग्मजी अवस्था में एक एलिल अपना प्रभाव दर्शाते है। जिस एलिल का प्रभाव दब जाता है उसे अप्रभावी एलिल कहते है। उदा – Tt (t – अप्रभावी एलिल ) 

14. Locus (स्थान) – 

  • गुणसूत्र पर वह स्थान जहां जीन पायी जाती है।

15. युग्मक (Gametes) – 

  • शुक्र जनन एवं अंड जनन के दौरान बनने वाला उत्पाद।

नोट :  नर में शुक्र जनन के दौरान शुक्राणु बनता है वह मादा में अंड जनन के दौरान अंडाणु बनता है।युग्मक के अंदर गुणसूत्र की संख्या “n” (Haploid) होती है। 

16. Zygote (युग्मनज) – 

  • शुक्राणु व अंडाणु के निषेचन के दौरान बनने वाला उत्पाद। युग्मनज में गुणसूत्र की संख्या 2n होती है।

17. Genotype (जीनोटाइप) – 

  • किसी जीव की आंतरिक आनुवंशिक संरचना।

18 Phenotype – 

  • किसी जीव की बाहरी आनुवंशिक संरचना।

नोट :- सामान्यत फेनोटाइप की संख्या जीनोटाइप की संख्या से कम होती है।समान फेनोटाइप होने पर भी जीनोटाइप अलग-अलग हो सकता है

19. Central Dogma – 

  • एक प्रक्रिया जिसमें डीएनए से RNA से प्रोटीन बनने की आनुवंशिक जानकारी निहित होती है।

नोट :-

1. DNA से RNA का बनना – ट्रांसक्रिप्शन 

2. RNA से DNA का बनना – रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन 

3. RNA से प्रोटीन का बनना – ट्रांसलेशन 

4. DNA से DNA का  बनना – रेप्लिकेशन 

आनुवंशिकी की शाखाएं  (Branches Of Genetics)

1. Animal Genetics : 

  • पशु आनुवंशिकी (Animal Genetics) एक विज्ञान है जो पशुओं के आनुवंशिक संरचना, विकास, और विशेषताओं का अध्ययन करता है। यह विज्ञान पशुओं के जीनोम और उनके विभिन्न प्रजातियों के आनुवंशिक संरचना की समझ में मदद करता है, जिससे पशुओं के उत्पादन, स्वास्थ्य, और प्रजनन में सुधार किया जा सकता है।

2. Plant Genetics : 

  • पौधों की आनुवंशिकी (Plant Genetics) वह शाखा है जिसमे पौधों के आनुवंशिक संरचना, उनके विकास, और विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। 

3. Clinical Genetics : 

  • क्लिनिकल आनुवंशिकी (Clinical Genetics) वह शाखा है जो विभिन्न अनुवांशिक संबंधित विकारों और उनके आवेशिक प्रभावों का अध्ययन करती है, जो मनुष्यों में पाए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है व्यक्तियों के अनुवांशिक संबंधित विकारों का निदान करना, उनके लक्षणों का अध्ययन करना, और उनसे सम्बंधित उपचार का सुझाव देना।

4. Eugenics : 

  • विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत मानव नस्ल सुधार आनुवंशिकता का अध्ययन किया जाता है।   

5. Biochemical Genetics (जैवरसायनिकी आनुवंशिकी) : 

  • आनुवंशिकी वह शाखा है जिसमे जीन , गुणसूत्र , न्यूक्लिक एसिड का जैवरसायनिकी अध्ययन किया जाता है। 

6. Physiological Genetics : 

  • आनुवंशिकी वह शाखा है जिसमे रक्त समूह , Rh कारक , एनीमिया आदि शरीरिक कार्यिकी का अध्ययन किया जाता है।

7. Development Genetics : 

  • आनुवंशिकी वह शाखा है जिसमे भ्रूणीय विकास के दौरान होने वाले आनुवंशिक प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। 

8. Radiation Genetics : 

  • आनुवंशिकी वह शाखा है जिसमे विकिरणों से उत्पन्न उत्परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है। 

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आनुवंशिक विविधता के लिए कौन-कौन से कारक होते हैं?
आनुवंशिक विविधता के उत्पन्न होने में कई कारक होते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारक हैं:

  • विभाजन (Segregation): यह एक प्रकार की विभिन्नता है जो जीनों के अलग-अलग रूपों के साथ पुत्र-पुत्री में पारित होती है।
  • Crossing Over (पार करना): यह एक विकासक बार की प्रक्रिया है जिसमें क्रोमोसोम के भिन्न अनुभागों के बीच में विन्यासित होने वाले विवादी विन्यास का आविष्कार होता है।
  • म्यूटेशन (Mutation): जब जीनों में त्रुटि या परिवर्तन होता है, तो यह विभिन्नता के उत्पन्न होने का कारण बन सकता है।
  • चयन (Selection): यह विविधता का मूल कारण है, जिसमें प्राकृतिक चयन या व्यावसायिक चयन के माध्यम से विशेष लक्षणों वाले जीवों को बचाने या चुनने के प्रक्रिया में विविधता उत्पन्न होती है।
  • जेनेटिक्स क्या है और पशु ब्रीडिंग में इसका महत्व क्या है?

  • जेनेटिक्स एक शाखा है जो जीवों की आनुवंशिकी (Heredity) और विभिन्नता (Variation) का अध्ययन करती है। यह विज्ञान उन प्रकार के लक्षणों का अध्ययन करता है जो जीवों के वंशानुक्रम में पारित होते हैं और पीढ़ियों में विभिन्नता को उत्पन्न करते हैं। इसके अध्ययन से हम जीवों के जीनोम (Genome) की संरचना, विकास, और विशेषताओं को समझते हैं।
  • पशु ब्रीडिंग में जेनेटिक्स का महत्व प्रमुखतः इसलिए है क्योंकि यह ब्रीडिंग प्रक्रिया के दौरान पशुओं की वंशानुक्रम और गुणसूत्र का अध्ययन करके उनकी उत्पादनता, स्वास्थ्य, और प्रजनन को सुधारने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम विभिन्न प्रजातियों के जीवों के गुणसूत्र को समझते हैं और उन्हें बेहतर उत्पादन और विकास के लिए चयन करते हैं। इससे पशुओं की उत्पादकता, रोग प्रतिरोध, और प्रजनन क्षमता में सुधार होता है, जिससे कृषि और पशुपालन क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ती है।
  • Central Dogma क्या है?

     Central Dogma एक प्रक्रिया जिसमें डीएनए से RNA से प्रोटीन बनने की आनुवंशिक जानकारी निहित होती है।

    1. ट्रांसक्रिप्शन (Transcription): इस प्रक्रिया में, डीएनए से आरएनए (RNA) की निर्माणा होती है। यह एक कॉपी होती है जिसमें डीएनए की जानकारी धारित होती है।

    2. रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (Reverse Transcription) : रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (Reverse Transcription) नामक प्रक्रिया में, आरएनए (RNA) से डीएनए (DNA) की निर्माणा होती है। यह प्रक्रिया विशेष तरह के वायरस और कुछ बैक्टीरिया में पाई जाती है, जो अपनी आरएनए को अपने हॉस्ट के डीएनए में संक्रियात करने के लिए उपयोग करते हैं।

    3. ट्रांसलेशन (Translation): ट्रांस्लेशन में, आरएनए से प्रोटीन की निर्माणा होती है। यह प्रक्रिया आरएनए के अणुओं को अमीनो एसिडों में परिणत करती है, जो फिर प्रोटीन के लंबे श्रृंगों की तैयारी में सहायक होते हैं।

    4. रेप्लिकेशन (Replication): रेप्लिकेशन में, डीएनए की नकल बनाई जाती है, जिससे नई कोशिकाएं बनाई जा सकती हैं। यह प्रक्रिया गर्भनाली में होती है और नई जीवन की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    युजेनिक्स क्या है?
    युजेनिक्स (Eugenics) एक विज्ञान है जो मानव नस्ल के सुधार और आनुवंशिकता का अध्ययन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य है समाज में अच्छी और उत्तम गुणवत्ता वाले नस्ल की प्रोत्साहना करना और अधिक समृद्ध और स्वस्थ समाज की बनावट को बढ़ाना। युजेनिक्स के कुछ मुख्य उपायों में वंशानुगत नस्ल की चयन, नस्लीय शुद्धि, और नस्लीय प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने का अध्ययन शामिल है।

    जीनोटाइप और फेनोटाइप में क्या अंतर है?

    1. जीनोटाइप (Genotype): जीनोटाइप एक जीव की आंतरिक आनुवंशिक संरचना को दर्शाता है।

    2. फेनोटाइप (Phenotype): फेनोटाइप जीव की बाहरी आनुवंशिक संरचना या विशेषता को दर्शाता है।

    फेनोटाइप और जीनोटाइप के बीच अंतर:

    • जीनोटाइप जीव की आंतरिक गुणसूची को नियंत्रित करता है, जबकि फेनोटाइप उसके बाहरी विशेषताओं को निर्धारित करता है।
    • जीनोटाइप जीव के डीएनए में मौजूद जीनों का कलेक्शन होता है, जबकि फेनोटाइप उन जीनों के प्रकट रूप को दर्शाता है।
    • एक ही जीनोटाइप के अनेक फेनोटाइप हो सकते हैं, क्योंकि एक ही जीनोटाइप विभिन्न परिवर्तनों का कारण बन सकता है।

    फ्रीमार्टिन क्या है?

     जब गाय में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं और एक बछड़ा और एक बछड़ी होती हैं, तो बछड़ी बाँझ होती है। 

    कारण :

    इस स्थिति का कारण है कि जुड़वा बछड़े के प्लेसेंटा के बीच वास्कुलर कनेक्शन बन जाता है, जिससे दोनों बछड़ों के बीच संख्यात्मक परिवर्तन होता है।और नर के एंटी मुलेरियन हार्मोन मादा बछड़ी में चले जाते है जिससे मादा बछड़ी में मुलेरियन डक्ट का विकास रूक जाता है। ऐसी बछड़ी को फ़्रीमार्टिन कहते है।