Sahiwal Cow : Pride of Indian Agriculture
Introduction (परिचय) :
साहीवाल गाय (Sahiwal Cow) भारतीय देशी गाय (Indigenous Cattle Breed) की एक प्रमुख नस्ल है, जिसका नाम पाकिस्तान के साहीवाल जिले के नाम पर रखा गया है। साहीवाल नस्ल का जन्म स्थान पाकिस्तान के मोंटगॉमेरी जिले / साहीवाल जिले में माना जाता है। पाकिस्तान के साहीवाल (Sahiwal) जिला को पहले मोंटगॉमेरी जिला भी कहते थे। साहीवाल नस्ल (Sahiwal Cattle) की गायों को मुख्य रूप से पाकिस्तान के साहीवाल / मोंटगोमरी जिले और भारतीय राज्यों में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में देखा जाता है। भारत में वर्तमान में देशी गायों की कुल 53 पंजीकृत देशी नस्ल है। भारत की पहली सिंथेटिक गाय की नस्ल फ्रिस्वाल है। यह एक सिंथेटिक डेयरी पशु है जिसमें साहीवाल (37.5) और हॉलस्टीन फ्रीजियन (62.5) का लक्षण है।
Sahiwal Cow Information
Conservation Status | Not Endangered |
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Scientific Classification |
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Breed Type | Zebu Dairy Breed |
Alternate Names | Lola, Montgomery, Multani, Teli |
Origin | Sahiwal District, Punjab (Pakistan) |
Distribution |
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Physical Characteristics |
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Milk Production |
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Breeding Traits |
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Economic Importance | Highly valued for its milk yield and adaptability to diverse climatic conditions. |
Unique Features | India’s top dairy breed among indigenous cattle, with global recognition for its resilience and milk production. |
The Rajasthan Express: Sahiwal Cow Details |
Surname of Sahiwal Cow (उपनाम) :
साहीवाल नस्ल (Sahiwal Cattle) को को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे लोला नस्ल (Lola Brees), मुल्तानी ( Multani), मोंटगॉमेरी (Montgomery), और लंबी बार (Teli)।
Physical Traits of Sahiwal Cow (शारीरिक लक्षण):
- साहीवाल पशु (Sahiwal Animal) अपने गहरे लाल और भूरे रंग (Brownish Red to Greyish Red) की वजह से आसानी से पहचाने जाते हैं।
- साहीवाल नस्ल (Sahiwal Cattle) की गायों की ढीली त्वचा के कारण इन्हे “लोला नस्ल (Lola Breed)” कहा जाता है।
- साहीवाल नस्ल की गायों में सुंडी (Navel Flap) और गलकंबल (Dewlop) अधिक विकसित होती हैं, जो उन्हें अन्य नस्लों से अलग करती हैं।
- साहीवाल नस्ल भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली देसी नस्लों में से एक हैं।
Productivity of Sahiwal Cattle(उत्पादन):
- साहीवाल पशु (Sahiwal Animal) उच्च दूध उत्पादनकर्ता होते हैं, जो प्रत्येक लैक्टेशन चक्र (एक ब्यात दुग्ध उत्पादन) में लगभग 2500 – 3000 लीटर दूध उत्पन्न करते हैं।
- साहीवाल नस्ल (Sahiwal Cattle) भारत की देशी नस्लों में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली नस्ल है।
- मुर्रा नस्ल भारत की सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली भैंस की नस्ल है।
- उनका दूध अपनी समृद्धि और पोषण सामग्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अत्यधिक मांग है।
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Economic Importance and Future Outlook (आर्थिक महत्व) :
- साहीवाल पशु (Sahiwal Cow) डेयरी उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, दूध उत्पादन और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- उनकी विभिन्न जलवायु की अनुकूलता और रोगों के प्रति सहनशीलता उन्हें किसानों के लिए मूल्यवान संपत्ति बनाती है।
- उच्च गुणवत्ता के डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, साहीवाल पशु देशी और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में महत्वपूर्ण नस्लों में से एक है।
भारत में पशुधन की आबादी 20वीं पशुधन गणना के अनुसार :
1. कुल पशुधन आबादी:
- 2019 में देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जो 2012 की गणना की तुलना में 4.6% अधिक है।
2. कुल गायों की संख्या:
- 2019 में कुल गायों की संख्या 192.49 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में 0.8% ज्यादा है। देशी गायो में सबसे लम्बा दुग्धकाल ” गिर गाय (Gir Cattle) ” का होता है।
Conclusion:
साहीवाल पशु, (Sahiwal Cow ) पाकिस्तान के मोंटगॉमेरी से उत्पन्न होकर भारत के पंजाब और हरियाणा में प्रसारित हैं। इनकी गहरी लाल रंग और ढीली त्वचा के कारण ये प्रसिद्ध हैं। उनकी उत्कृष्ट दूध उत्पादन ने उन्हें स्थानीय डेयरी नस्लों के एक महान उदाहरण के रूप में स्थापित किया है, जो प्रति लैक्टेशन चक्र में लगभग 2500-3000 लीटर दूध उत्पन्न करते हैं।
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Rakesh Kumartherajasthanexpresscontact@gmail.comEdit Profile
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साहीवाल नस्ल की उत्पत्ति कहाँ हुई थी ?
साहीवाल पशु पाकिस्तान के साहीवाल जिले से उत्पन्न हुए हैं, लेकिन उन्हें पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान जैसे भारत के क्षेत्रों में भी देखा जाता है।
साहीवाल पशु के शारीरिक विशेषताएँ क्या हैं?
साहीवाल पशु अपने गहरे लाल रंग और ढीली त्वचा के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। साहीवाल नस्ल की गायों में सुंडी (Navel Flap) और गलकंबल (Dewlop) अधिक विकसित होती हैं, जो उन्हें अन्य नस्लों से अलग करती हैं।
एक साहीवाल गाय एक ब्यात में कितना दूध देती है?
सामान्यत: एक साहीवाल गाय प्रति लैक्टेशन चक्र में लगभग 2500-3000 लीटर दूध उत्पन्न कर सकती है, जिसके कारण वे उच्चतम दूध उत्पादक नस्लों में से एक हैं।
क्या साहीवाल पशु आर्थिक महत्वपूर्ण हैं?
हां, साहीवाल पशु डेयरी उद्योग में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनका उच्च दूध उत्पादन और विभिन्न जलवायु में सहनशीलता उन्हें किसानों और डेयरी क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।साहीवाल नस्ल भारत की देशी नस्लों में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली नस्ल है।
साहीवाल पशु के अन्य प्रेफरेड नस्लों के मुकाबले फायदे क्या हैं?
साहीवाल पशु अपने श्रेष्ठ दूध उत्पादन, रोग प्रतिरोधीता, और विभिन्न जलवायु में सफलतापूर्वक उत्तरदायित्व लेने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जिसके कारण उन्हें डेयरी फार्मिंग के लिए एक पसंदीदा चयन माना जाता है।
साहीवाल गाय एक दिन में कितना लीटर दूध देती है ?
साहीवाल गाय एक दिन में लगभग 15 – 20 लीटर दूध देती है। साथ ही यह भारत की देसी नस्लों में सबसे ज्यादा दूध देनी वाली गाय भी है।