बीकानेरी ऊँट की नस्ल (Bikaneri Camel Breed)
बीकानेरी ऊँट की नस्ल भारत में प्रमुख एक-कूबड़ वाले ऊँटो की नस्लों में से एक है। यह ऊँट राजस्थान के ‘बीकानेर’ जिले में पाया जाता है, जिसे इसके नाम के साथ जाना जाता है। बीकानेरी ऊँट अपनी श्रेष्ठ बोझा ढोने की क्षमता और सहनशीलता के लिए प्रसिद्ध है। बीकानेरी ऊँट कृषि कार्यों और परिवहन में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Bikaneri Camel Information
Conservation Status | Not at Risk |
---|---|
Scientific Classification |
|
Breed Type | Indigenous Draught and Milk Camel |
Alternate Names | Bikaneri, Rajasthani Camel |
Origin | Bikaner District, Rajasthan, India |
Distribution |
|
Physical Traits |
|
Climate Suitability | Desert, Dry, and Tropical Climates |
Primary Uses |
|
Diet |
|
Population | Primarily Found in Rajasthan, Contributing to 70% of India’s Camel Population |
The Rajasthan Express: Bikaneri Camel Breed Information |
बीकानेरी ऊँट का मूल स्थान और वितरण (Origin and distribution of Bikaneri Camel) :
बीकानेरी एक कूबड़ वाले ऊँटों (Single Hump Camel) की प्रमुख़ नस्ल है। बीकानेरी ऊँट की नस्ल का मूल स्थान राजस्थान के बीकानेर जिले में माना जाता है। बीकानेरी नस्ल के ऊँट मुख्यत : राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पाए जाते है। बीकानेरी ऊँट की नस्ल सिन्धी और बलूची नस्ल के सकरण से प्राप्त की गई है।
बीकानेरी ऊँट राजस्थान के बीकानेर जिले और उसके सीमावर्ती इलाकों में पाया जाता है। इसके अलावा , बीकानेरी नस्ल के ऊँट राजस्थान के अन्य जिलों जैसे श्री गंगानगर, चुरू, झुंझुनू, सीकर और नागौर में भी पाई जाती है।
बीकानेरी ऊँटों की जलवायु अनुकूलता (Climate suitability of Bikaneri camels) :
बीकानेरी नस्ल के ऊँट मुख्य रूप से रेगिस्तानी, शुष्क और उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये ऊँट रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए सबसे अधिक अनुकूल माने जाते हैं क्योंकि वे इन जलवायु परिस्थितियों में अच्छी तरह से जीवित रह सकते हैं और काम कर सकते हैं।
बीकानेरी ऊँट की पहचान (Identification of Bikaneri Camel) :
रंग (Colour) :
- बीकानेरी ऊँटों का रंग गहरा भूरा होता है, जो इस नस्ल की विशेष पहचान है। विश्व के सबसे सुंदर ऊंट की नस्ल “बीकानेरी नस्ल के ऊँट ” है।
स्टॉप (Stop) :
- बीकानेरी ऊँटों की आंखों के ऊपर माथे पर एक गड्ढा पाया जाता है, जिसे ‘स्टॉप’ कहा जाता है। यह बीकानेरी ऊँट की प्रमुख विशेषता है। जैसलमेरी ऊँट में ‘स्टॉप अनुपस्थित होता है।
झिपरा (Zipra) :
- बीकानेरी ऊँटों में ‘झिपरा’ एक मुख्य विशेषता है, जो कि उनकी आँखों की पलकों और कानों (EyeLid , Ear) पर पाए जाने वाले काले बाल होते हैं।
ऊँचाई (Height):
- बीकानेरी ऊँटों की ऊँचाई लगभग 10 से 12 फुट तक होती है।
आंखें (Eye):
- इनकी आंखें चमकीली होती हैं और बाहर की ओर निकली होती हैं।
नाक (Nose) :
- ऊँटों की नाक ऊपर की ओर उभरी हुई होती है।
कान (Ear) :
- बीकानेरी ऊँटों के कान छोटे और गोलाकार होते हैं, जो इन्हें आकर्षक बनाते हैं।
कुबड़ (Hump) :
- इनकी कुबड़ सुविकसित और भारी होती है।
कूल्हे की हड्ड़ी (Hip Bone) :
- बीकानेरी ऊँटों में कूल्हे की हड्डी (Pin Bone) उभरी हुई होती है।
- बीकानेरी ऊँटों में पूँछ पर काले बालों का गुच्छा पाया जाता है। जिसे Switch कहा जाता है।
बीकानेरी ऊँटों की उपयोगिता (Usefulness of Bikaneri Camels) :
भारत में ऊँटों की जनसंख्या :
- भारत ऊँटों की जनसंख्या के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है। इस आबादी का मुख्य योगदान राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आता है।
- विशेष रूप से, राजस्थान ऊँटों की कुल जनसंख्या का 70% हिस्सा बनाता है, जबकि हरियाणा का योगदान 11% है।
- इसके अलावा, पंजाब और गुजरात दोनों का योगदान 6% और 7% है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य भी ऊँटों की आबादी को बढ़ाने में सहायक हैं।
बीकानेरी ऊँटों का पौष्टिक आहार :
- बीकानेरी ऊँटों के आहार में पौष्टिक और स्थानीय वनस्पतियाँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं। उन्हें आम तौर पर ग्वार, चने और गेहूं का भूसा, ज्वार, बाजरा और जई खिलाया जाता है।
- इसके अलावा, ये ऊँट बारहमासी घासों जैसे सेवण घास और साइपरस रोटंडस (कोको-घास, जावा घास, नट घास) पर भी चरते हैं।
- झाड़ियाँ जैसे फोग और केर के अलावा फोग घास , खेजड़ी , कीकर और जाल जैसे पेड़ भी उनके आहार का हिस्सा होते हैं, जिससे उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं।
- सेवण घास मुख्यत राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर आदि जिलों में पायी जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion) :
- बीकानेरी ऊँटों की नस्ल अपने अनुकूलन, सहनशक्ति और उपयोगिता के लिए विशेष रूप से सराही जाती है। यह नस्ल राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में कृषि और परिवहन कार्यों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।