Marwari Horse: The Brave and Loyal Steeds of Rajasthan
मारवाड़ी घोड़ा, जिसे मालानी के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र की एक प्रमुख नस्ल है। राजस्थान का मारवाड़ी घोडा भारत का सबसे सुन्दर घोड़े की नस्ल है। महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की नस्ल ‘मारवाड़ी घोडा’ थी। यह नस्ल अपनी बहादुरी, वफादारी और सहनशीलता के कारण पुरे भारत में प्रसिद्ध है। मारवाड़ी घोड़े का एक समृद्ध इतिहास है जो राजपूत शासकों से जुड़ा है जिन्होंने उन्हें घुड़सवार सेना की आवश्यकताओं के लिए चुनिंदा रूप (Selective Breeding) से पाला था। आज, ये घोड़े न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए बल्कि अपनी अनुकूलता और अनोखी शारीरिक विशेषताओं के लिए भी सराहे जाते हैं।
Origin of Marwari Horse (मारवाड़ी घोड़े का जन्म स्थान)
Breed of Marwari Horse
General Info. |
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Synonym |
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Breeding Tract |
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Main Use |
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Origin | Malani ,Barmer District |
Adaptability | Arid and semi-arid environments |
Colour |
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Male Height (Avg cm) | 156 |
Female Height (Avg cm) | 154 |
Male Weight (Avg kg) | 361 |
Female Weight (Avg kg) | 339 |
Management System | Intensive |
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Distribution of Marwari Horse (वितरण क्षेत्र)
Alternative Name of Marwari Horse (मारवाड़ी घोड़े के अन्य नाम)
Breeding Tract of Marwari Horse
मारवाड़ी घोड़े मुख्य रूप से राजस्थान के कई जिलों में पाले जाते हैं, जिनमें अजमेर, बाड़मेर, जोधपुर , झुंझुनू, पाली, सीकर, और उदयपुर शामिल हैं। बाड़मेर जिले के मालानी क्षेत्र में मारवाड़ी घोड़ों के प्रजनन का केंद्र है। ये घोड़े गुजरात के बनासकांठा और मेहसाणा जिलों में भी पाए जाते हैं, जो राजस्थान की सीमावर्ती हैं।
Main Uses of Marwari Horse
Physical Characteristics of Marwari Horse (मारवाड़ी घोड़े की पहचान)
- मारवाड़ी घोड़े के कोट के कई रंग होते हैं, जिनमें गहरा भूरा (मस्की), बे (कुमेत), चेस्टनट (सुरंग), डन (चम्पा), ग्रे (स्वेत) और अधिक शामिल हैं।
- मारवाड़ी घोड़े सामन्यत बड़े व् सुन्दर होते है। मारवाड़ी घोडा भारत का सबसे सुन्दर घोड़े की नस्ल है।
- मारवाड़ी घोड़े की सबसे आकर्षक विशेषताओं में से एक उसकी अंदर की ओर घुमावदार कान हैं, जो 180 डिग्री घूम सकते हैं। घुमावदार कान ही मारवाड़ी घोड़े की मुख्य पहचान है।
Average Measurements
- Height: Males – 156 cm, Females – 154 cm
- Body Length: Males – 154 cm, Females – 153 cm
- Heart Girth: Males – 169 cm, Females – 171 cm
- Weight: Males – 361 kg, Females – 339 kg
Key Points
- यह आउट क्रासिंग का ही एक प्रकार है। इसमें एक ही झुण्ड में से चयनित नर का असबन्धित मादा के साथ प्रजनन करवाया जाता है। राजस्थान में वर्तमान में चयनात्मक प्रजनन सबसे ज्यादा काम में लिया जाता है।
- घोड़े की गर्दन पर पाए जाने वाले घने बालों को Mane कहते है।
- घोड़े के माथे पर पाए जाने वाले घने बालों को Forlock कहते है।
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Chevaline : घोड़े के मांस को Chevaline कहा जाता है।
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Foaling: घोड़ी में ब्याने की क्रिया / प्रसव क्रिया को Foaling कहा जाता है। घोड़ी का गर्भकाल 11 माह 11 दिन / 341 दिन का होता है।
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Covering : घोड़ी में समागम की क्रिया को Covering कहा जाता है।
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Mare : वयस्क मादा घोड़ी को Mare कहा जाता है।
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Foal : घोडी के नवजात बच्चे को Foal कहते है।
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Colt : जवान नर घोड़े को colt कहा जाता है।
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Filly : जवान मादा घोड़ी को Filly कहा जाता है।
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Pack : घोड़ों के समूह को Pack कहा जाता है।
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Stable : घोड़ों के आवास को Stable कहा जाता है।
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Stallion / Stud : वयस्क नर घोड़े को Stallion / Stud कहा जाता है।
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Geld / Gelding: बधियाकरण किये हुए नर घोड़े को Geld / Gelding कहा जाता है।
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Brood Mare : ऐसी घोड़ी जिसे प्रजनन के लिए रखा जाता है।
Adaptability and Use
- राजस्थान की कठोर जलवायु के अनुकूल, मारवाड़ी घोड़े ने अपनी पतली त्वचा को वातावरण के प्रति अनुकूल बनाया है जो इसे निर्जलीकरण (Dehydration) के बिना गर्मी और ठंड दोनों से सुरक्षा करती है।
- इसकी अच्छी तरह से विकसित गंध और सुनने की क्षमता विशेष रूप से रेगिस्तानी वातावरण में फायदेमंद होती है।
Population and Conservation (मारवाड़ी घोड़ों की जनसंख्या)
मारवाड़ी घोड़े की जनसंख्या महत्वपूर्ण वर्द्धि देखने को मिली सन 1997 में अनुमानित 500 घोड़ों से, जनसंख्या 2001 तक 5,000 तक बढ़ गई और वर्ष 2013 तक 38,696 तक पहुंच गई। यह वृद्धि मारवाड़ी नस्ल के महत्व और जोधपुर में मारवाड़ी घोड़ा सोसाइटी और उदयपुर में चेतक घोड़ा सोसाइटी जैसी संगठनों के प्रयासों का प्रमाण है, जो इस अनोखी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रहे हैं।
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